शब्द का अर्थ
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जस :
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वि=जैसा। पद–जस का तस=ज्यों का त्यों। जैसा था वैसा ही। उदाहरण–जस दूलहा तस बनी बराता।–तुलसी। क्रि० वि०=जैसे। पुं०=यश।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जसद :
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पुं० [सं० जस√दा (देना)+क] जस्ता। |
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जसन :
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पुं=जशन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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जसवै :
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स्त्री०=यशोदा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जसामत :
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स्त्री० [अ० जिस्म का भाव० रूप] शारीरिक स्थूलता। मोटापा। |
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जसीम :
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वि० [अ० जिस्म का वि०] स्थूल आकारवाला। भारी भरकम। |
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जसु :
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पुं० [सं०√जस् (छोड़ना आदि)+उ] १. अस्त्र। हथियार। २. अशक्तता। ३. थकावट। पुं०=जस (यश)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) सर्व० [सं० यस्यं या जस्स] जिसका। स्त्री=यशोदा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जसुरि :
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पुं० [सं०√जस्+उरिन्] वज्र। |
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जसूँद :
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पुं० [देश०] एक वृक्ष जिसके रेशों को बटकर रस्से बनाये जाते हैं। नताउल। |
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जसोदा :
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स्त्री०=यशोदा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जसोमति :
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स्त्री० यशोदा। |
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जसोवा :
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स्त्री=यशोदा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जसोवै :
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स्त्री=यशोदा। |
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जस्त :
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पुं०=जस्ता (धातु)। स्त्री० [फा०] छलाँग। चौकड़ी। |
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जस्तई :
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वि० [हिं० जस्ता] १. जस्ते का बना हुआ। २. जस्ते के रंग का। खाकी। पुं० उक्त प्रकार का रंग जो प्रायः मटमैला होता है। |
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जस्ता :
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पुं० [सं० जसद] १. कुछ मटमैले रंग की एक प्रसिद्ध धातु। २. कपडो़ में, बुनावट के सूतों का इधर-उधर हट जाने के कारण दिखाई देनेवाला झीनापन। |
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जसौं :
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अव्य० [हिं० जासु] १. जिसकी ओर। २. जिस ओर। उदाहरण–जासौ वै हेरहिं चख नारी। बाँक नैन जनु हनहिं कटारी।–जायसी। सर्व०=जिसको। |
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