| शब्द का अर्थ | 
					
				| ज्वरांकुश					 : | पुं० [ज्वर-अंकुश, ष० त०] १. कुश की जाति की एक घास जिसकी जड़ में नीबू की सी सुगंध होती है। २. वैद्यक में ज्वर की एक दवा जो गंधक, पारे आदि के योग से बनती है। | 
			
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				| ज्वरांगी					 : | स्त्री० [सं० ज्वर√अंग् (गति)+अच्-ङीष्] भद्रदंती नामक पौधा। | 
			
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				| ज्वरांतक					 : | वि० [ज्वर-अतंक, ष० त०] ज्वर का अन्त या नाश करनेवाला। पुं० १. =चिरायता। २.=अमलतास। | 
			
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				| ज्वरांश					 : | पुं० [ज्वर-अंश, ष० त०] मंद या हलका ज्वर जैसा प्रायः जुकाम आदि के साथ होता है और जो कभी-कभी दूसरे रोग के आगमन का सूचक माना जाता है। हराजत। | 
			
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				| ज्वरा					 : | स्त्री० [सं० जरा] १. बुढ़ापा। २. मृत्यु। | 
			
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				| ज्वरापह					 : | स्त्री० [सं० ज्वर-अप√हन् (मारना)+ड] बैलपत्री। | 
			
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				| ज्वरार्त्त					 : | वि० [ज्वर-आर्त्त, तृ० त०] ज्वर से पीड़ित। | 
			
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