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			| शब्द का अर्थ |  
				| ठाढ़ा					 : | वि० [सं० स्थातृ=जो खड़ा हो] [स्त्री० ठाढ़ी] १. जो सीधा खड़ा हो। दंडायमान। २. जो अपने पूर्व या मूलरूप में वर्तमान या स्थित हो। उदाहरण–गाढ़ै, ठाढ़ै कुचनु ठिलि पिय हिय को ठहराइ।-बिहारी। मुहावरा–ठाढ़ा देना=किसी चीज को यत्नपूर्वक संभालकर ज्यों का त्यों रखना। ३. (अनाज का दाना) जो कूटा या पीसा न गया हो, बल्कि ज्यों का त्यों अपने मूल रूप में हो। जैसे–ठाढ़ा गेहूँ या चना। ४. हृष्ट-पुष्ट। हट्टा-कट्टा। ५. जो खड़े बल में हो या सीधा ऊपर की ओर गया हो। ६. जो सामने आकर उपस्थित या प्रस्तुत हुआ हो। वर्तमान। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |