| शब्द का अर्थ | 
					
				| ठेल					 : | स्त्री० [हिं० ठेलना] ठेलने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| ठेल-ठाल					 : | स्त्री०=ठेल। | 
			
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				| ठेलना					 : | स० [हिं० टालना] १. किसी भारी चीज के पीछे बल लगाकर उसे आगे खिसकाना या बढ़ाना। मुहावरा–(कोई काम) ठेले चलना=जैसे–तैसे काम चलाये चलना। किसी प्रकार निबाहते चलना। २. अपना भार या दायित्व अपने ऊपर से हटाते हुए किसी दूसरे की ओर बढ़ाना। अ० बल-प्रयोग या जबरदस्ती करना। उदाहरण–ताही पै ठगावै ठेलि जाही को ठगतु है।–केशव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| ठेलम-ठेल					 : | स्त्री० [हिं० ठेलना से] बार-बार बहुत से लोगों का आपस में एक दूसरे को ठेलने या धक्के देने की क्रिया या भाव। क्रि० वि० एक दूसरे को ठेलते हुए० । | 
			
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				| ठेला					 : | पुं० [हिं० ठेलना] १. ठेलने की क्रिया या भाव। २. माल ढोने की एक तरह की दो या तीन पहियोंवाली छोटी गाड़ी जिसे आदमी ठेल या ढकेलकर चलाते हैं। ३. उक्त प्रकार की चार पहियोंवाली छोटी गाड़ी जो केवल रेल की पटरियों पर चलती हैं। ट्रॉली। ४. छिछली नदियों में चलनेवाली एक तरह की कम गहरी नाव। ५. धक्का। ६. भीड़-भाड़। | 
			
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				| ठेलाठेल					 : | स्त्री०=ठेलमठेल। | 
			
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