शब्द का अर्थ
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					तंद्रि					 :
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					स्त्री० [सं०√तंद्+क्रिन]=तंद्रा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तंद्रिक					 :
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					वि० [सं० तंद्रा+ठन्-इक] १. तंद्रा संबंधी। २. (रोग) जिसमें तंद्रा भी आती हो। पुं०=तंद्रिक ज्वर।				 | 
			
			
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					तंद्रिक-ज्वर					 :
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					पुं० [कर्म० स०] एक तरह का संक्रामक ज्वर जिसमे रोगी प्रायः तंद्रा की अवस्था में पड़ा रहता है। (टाइफस)।				 | 
			
			
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					तंद्रिक-सन्निपात					 :
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					पुं० [कर्म० स०] वैद्यक में, एक तरह सन्निपात जिसमें ज्वर बहुत तेजी से बढ़ता है, दम फूलने लगता, दस्त आने लगते हैं, प्यास अधिक लगने लगती है तथा जीभ काली पड़ जाती हैं। इसकी अवधि साधारणतः २५ दिनों की कही गई है।				 | 
			
			
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					तंद्रिका					 :
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					स्त्री० [सं० तंद्रि+कन्-टाप्] तंद्रा।				 | 
			
			
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					तंद्रिता					 :
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					स्त्री० [सं० तंद्रिन्+तल्-टाप्] तंद्रा में पड़े हुए होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					तंद्रिल					 :
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					वि० [सं० तंद्रा+इलच्] १. तंद्रा संबंधी। २. तंद्रालु।				 | 
			
			
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