शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					त्रिकांडी					 :
				 | 
				
					वि०=त्रिकांडीय।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिकांडीय					 :
				 | 
				
					वि० [सं० त्रि-कांड, द्विगु, स०+छ–ईय] जिसमे तीन कांड हों। तीन कांडोवाला। पुं० वेद, जिनमें कर्म, उपासना और ज्ञान तीनों की चर्चा या विवेचना है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिका					 :
				 | 
				
					स्त्री, [सं० त्रि√कै (भासित होना)+क-टाप्] कूएँ मे से पानी निकालने के लिए लगी हुई गराड़ी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिकालज्ञ					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० त्रिकाल√ज्ञा (जानना)+क] [भाव० त्रिकाज्ञता] वह जो भूत, वर्त्तमान और भविष्य तीनों कालों में हुई अथवा होनेवाली बातों को जानता हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिकालज्ञता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० त्रिकालज्ञ+तल्-टाप्] त्रिकालज्ञ होने की अवस्था, भावया शक्ति।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिकाल-दर्शक					 :
				 | 
				
					वि० [सं० ष० त०] त्रिकालज्ञ। पुं० ऋषि।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिकालदर्शिता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० त्रिकालदर्सिन्+तल्-टाप्] त्रिकालदर्शी होने की अवस्था, गुण या भाव या शक्ति।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिकालदर्शी (र्शिन्)					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० त्रिकाल√दृश् (देखना)+णिनि, उप० स०] वह जिसे भूत, भविष्य और वर्त्तमान तीनों कालों में होनेवाली घटनाएँ या बातें दिखाई देती हों।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |