| शब्द का अर्थ | 
					
				| दिव्यांगना					 : | स्त्री० [दिव्य-अंगना, कर्म० स०] १. अप्सरा। २. देवता की स्त्री। देव-पत्नी। | 
			
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				| दिव्यांबरी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाट की पद्धति की एक रागिनी। | 
			
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				| दिव्यांशु					 : | पुं० [दिव्य-अंशु, ब० स०] सूर्य। | 
			
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				| दिव्या					 : | स्त्री० [सं० दिव्य+टाप्] १. साहित्य में, तीन प्रकार की नायिकाओं में से एक। स्वर्गीय या अलौकिक नायिका। जैसे—पार्वती, सीता, राधिका आदि। २. महामेदा। ३. शतावर। ४. आँवला। ५. ब्राह्मी। ६. सफेद दूब। ७. हर्रे। ८. कपूर कचरी। ९. बड़ा जीरा। १॰. बाँझककोड़ा। | 
			
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				| दिव्यादिव्य					 : | पुं० [दिव्य-अदिव्य, कर्म० स०] साहित्य में तीन प्रकार के नायकों में से एक। वह मनुष्य या इहलौकिक नायक जिसमें देवताओं के भी गुण हों। जैसे—नल, पुरुरवा, अभिमन्यु आदि। | 
			
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				| दिव्यादिव्या					 : | स्त्री० [दिव्या-अदिव्या, कर्म० स०] साहित्य में, तीन प्रकार की नायिकाओं में से एक। वह इहलौकिक नायिका जिसमें स्वर्गीय स्त्रियों के भी गुण हों। जैसे—दमयंती, उर्वशी, उत्तरा आदि। | 
			
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				| दिव्याश्रम					 : | पुं० [दिव्य-आश्रम, कर्म० स०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ जहाँ विष्णु ने तपस्या की थी। कुरुक्षेत्र का दर्शन करके बलदेव जी यहीं से होते हुए हिमालय गए थे। | 
			
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				| दिव्यासन					 : | पुं० [दिव्य-आसन, कर्म० स०] तंत्र के अनुसार एक प्रकार का आसन। | 
			
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				| दिव्यास्त्र					 : | पुं० [दिव्य-अस्त्र, कर्म० स०] १. देवताओं का दिया हुआ अस्त्र या हथियार। २. मंत्रों के प्रभाव से चलनेवाला अस्त्र या हथियार। | 
			
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