शब्द का अर्थ
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धूलि :
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स्त्री० [सं०√धू+लि] धूल। गर्द। |
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समानार्थी शब्द-
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धूलि-कदंब :
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पुं० [ब० स०] एक प्रकार का कदंब का वृक्ष और उसका फल। |
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धूलिका :
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स्त्री० [सं० धूलि+कन्—टाप्] १. महीन जल-कणों की झड़ी। फुहार। २. कोहरा। |
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धूलि-गुच्छक :
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पुं० [ष० त०] अबीर-गुलाल आदि, जो होली में एक दूसरे पर डाले जाते हैं। |
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धूलि-चित्र :
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पुं० [मध्य० स०] वे आकृतियाँ या कोष्ठक, जो रंगों के चूर्ण जमीन पर भुरक कर बनाये जाते हैं। साँझी। (देखें) |
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धूलि-धूसर :
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वि०=धूलि-धूसरित। |
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धूलि-धूसरित :
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वि० [तृ० त०] धूल पड़ने के कारण जिसका रंग धूसर या मटमैला हो गया हो। |
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धूलि-ध्वज :
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पुं० [ब० स०] वायु। हवा। |
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धूलि-पुष्पिका :
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स्त्री० [ब० स०, कप्—टाप्, इत्व] केतकी। |
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धूलि-यात्रा :
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स्त्री० [मध्य० स० ?] किसी देवता के धाम में पहुँचने पर उसके मन्दिर में जाकर किया जानेवाला वह दर्शन जो रास्ते में पैरों पर पड़ी हुई धूल बिना धोये अर्थात् सीधे मन्दिर में पहुँचकर किया जाता है। (पैदल यात्री) |
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धूलिया-पीर :
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पुं० [हिं० धूल+पा० पीर] एक कल्पित पीर जिसका नाम बच्चे खेलों आदि में लिया करते हैं। जैसे—तुम्हें धूलिया-पीर की कसम है, वहाँ मत जाना। |
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