| शब्द का अर्थ | 
					
				| निरत					 : | वि० [सं० नि√रम् (रमना)+क्त] किसी काम में लगा हुआ रत। लीन। पुं० [सं० नृत्य] नाच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निरतना					 : | स० [सं० नर्तन] नाचना। | 
			
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				| निरति					 : | स्त्री० [सं० नि√रम्+क्तिन्] १. अच्छी तरह किसी काम या बात में रत होने की अवस्था, क्रिया या भाव। अत्यंत रति। २. किसी काम में लिप्त या लीन होने की अवस्था या भाव। स्त्री० [?] सुध।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निरतिशय					 : | वि० [सं० निर्–अतिशय, प्रा० स०] जिससे बढ़कर या अतिशय और कुछ न हो सके। हद दरजे का। पुं० परमात्मा। | 
			
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				| निरत्यय					 : | वि० [सं० निर्–अत्यय, ब० स०] १. जो खतरे, भय आदि से अलग, दूर या परे हो। २. दोषरहित। | 
			
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