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निरा  : वि० [सं० निरालय, पुं० हिं० निराल] [स्त्री० निरी] १. (व्यक्ति) जिसमें कोई एक ही (उल्लिखित) गुण या अवगुण हो। जैसे–निरा पाजी, निरा मूर्ख। २. (पदार्थ) जिसमें कोई ऐसा तत्त्व न मिलाया गया हो, जिससे उसकी उपयोगिता या महत्त्व घटता हो। विशुद्ध। ३. केवल। सिर्फ। जैसे–निरी दाल के साथ रोटी खाना।
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निराई  : स्त्री० [हिं० निराना] निराने की क्रिया, भाव या मजदूरी।
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निराक  : पुं० [सं० निर्√अक् (वक्र गति)+घञ्] १. पाचन क्रिया। २. पसीना। ३. बुरे कर्म का विपाक।
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निराकरण  : पुं० [सं० निर्–आ√कृ+ल्युट्–अन] [वि० निराकरणीय, निराकृत] १. अलग या पृथक् करना। २. निकालना, दूर करना या हटाना। ३. निर्वासन। ४. अस्वीकृत या निरस्त करना। ५. उठाये या किए हुए प्रश्न, आपत्ति आदि का तर्कपूर्वक खंडन, निवारण या परिहार करना। ६. दे० ‘निरसन’।
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निराकांक्ष  : वि० [सं० निर्–आकांक्षा, ब० स०] जिसे कोई आकांक्षा या इच्छा न हो।
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निराकांक्षी (क्षिन्)  : वि० [सं० निर्-आ√कांक्ष् (चाहना)+णिनि] [स्त्री० निराकांक्षिणी]=निराकांक्ष।
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निराकार  : वि० [सं० निर्–आकार, ब० स०] १. जिसका कोई आकार न हो। आकार-रहित। २. कुरूप। बेडौल। भद्दा। पुं० १. ब्रह्म। २. विष्णु। ३. शिव। ४. आकाश।
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निराकाश  : वि० [सं० निर–आकाश, ब० स०] जिसमें आकाश अर्थात् कुछ भी खाली स्थान न हो या गुंजाइश न हो।
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निराकुल  : वि० [सं० निर्–आकुल, प्रा० स०] १. जो आकुल या विकल न हो। २. किसी के अंदर भरा हुआ या व्याप्त। ३. बहुत अधिक आकुल या विकल।
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निराकृत  : वि० [स० निर्-आ√कृ+क्त] [भाव० निराकृति] १. जिसका निराकरण हो चुका हो। २. रद्द या व्यर्थ किया हुआ। ३. जिसका खंडन हो चुका हो। ४. जो घबराया न हो।
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निराकृति  : वि० [सं० निर्-आकृति, ब० स०] १. आकृति-रहित। निराकार। २. जो वेद-पाठ या स्वाध्याय न करात हो। ३. जो पंच महायज्ञ न करता हो। पुं० १. रोहित मनु के एक पुत्र का नाम। २. [निर-आ√कृ+क्तिन्] निराकरण।
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निराकृती (तिन्)  : वि० [सं० निराकृत+इनि] निराकरण करनेवाला।
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निराक्रंद  : वि० [सं० निर्-आक्रंद, ब० स०] १. जो चिल्लाता या शिकायत न करता हो। २. (ऐसा स्थान) जहाँ किसी प्रकार का शब्द न सुनाई पड़ता हो।
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निराखरा  : वि०=निरक्षर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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निराग  : वि० [सं० नि-राग, ब० स०] १. रागहीन। २. विरक्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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निरागस्  : वि० [सं० निर्-आगस्, ब० स०] पाप-रहित। निष्पाप।
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निराचार  : वि० [सं० निर्-आचार, ब० स०] १. (व्यक्ति) जो आचारहीन हो। २. (चाल या रीति) जिसे समाज से मान्यता या स्वीकृति न मिली हो।
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निराजी  : स्त्री० [?] करघे में, हत्थे और तरौंछी के सिरों को मिलानेवाली लकड़ी। (जुलाहे)
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निराट  : वि० [हिं० निराल] १. दे० ‘निराला’। २. दे० ‘निरा’।
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निराटा  : वि० [स्त्री० निराटी]=निराला। उदा०–सोच है यहै कै संग ताके रंग भौन मांहिँ कौन धौं अनोखो ढंग रचत निटारी है।–रत्नाकर।
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निराडंबर  : वि० [सं० निर्-आडंबर, ब० स०] आडंबरहीन।
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निरातंक  : वि० [सं० निर्-आंतक, ब० स०] १. जो आतंकित न हो। २. जो आतंक न उत्पन्न करे। २. रोग-रहित। नीरोग।
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निरातप  : वि० [सं० निर्-आतप, ब० स०] १. जो तपता न हो। २. छायादार। ३. जो ताप से सुरक्षित हो।
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निरातपा  : वि० स्त्री० [सं० निरातप+टाप्] जो तपती न हो। स्त्री० रात।
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निरात्म  : वि० [सं० निर्-आत्मन्, ब० स०] [भाव० नैरात्य] आत्मा से रहित या हीन।
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निरादर  : पुं० [सं० निर्-आदर, प्रा० स०] १. आदर का अभाव। २. अपमान।
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निरादान  : वि० [सं० निर्-आदान, ब० स०] जो कुछ भी प्राप्त न कर रहा हो। पुं० [प्रा० स०] १. आदान या लेने का अभाव। २. (ब० स०) एक बुद्ध का नाम।
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निरादेश  : पुं० [सं० निर्-आ√दिश्+घञ्] चुकता करना। भुगताना।।
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निराधार  : वि० [सं० निर्-आधार, ब० स०] १. जिसका कोई आधार (आवलंब या आश्रय) न हो। २. जिसकी कोई जड़ या बुनियाद न हो। निर्मूल। ३. (कथन) जिसका कोई प्रमाण न हो और इसीलिए जो ठीक या वास्तविक न हो; फलतः अमान्य। ४. जिसे अभी तक कुछ या कोई सहारा न मिला हो।
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निराधि  : वि० [सं० निर्–आधि, ब० स०] आधि अर्थात् रोग, चिंताओं आदि से मुक्त या रहित।
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निरानंद  : वि० [सं० निर्-आनंद, ब० स०] १. (व्यक्ति) जिसके मन में या जिसे आनंद अथवा प्रसन्नता न हो। २. (काम या बात) जिसमें कुछ भी आनंद न मिल सकता हो। पुं० १. आनंद का अभाव। २. दुःख।
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निराना  : स० [सं० निराकरण] [भाव० निराई] खेत में फसल के साथ आप से आप उगे हुए और फसल को हानि पहुँचानेवाले निरर्थक पौधों तथा वनस्पतियों को उखाड़ना या खोदकर निकालना।
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निरापद  : वि० [सं० निर्-आपदा, ब० स०] १. जिसके लिए कोई आपदा या संकट न हो। २. जिसमें कोई आपका या संकट न हो। ३. जिससे किसी प्रकार की आपदा या संकट की संभावना न हो। क्रि० वि० बिना किसी प्रकार की आपत्ति या संकट के।
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निरापन  : वि० [हिं० निर+मरा० आपन] १. जो अपना न हो। २. पराया। बेगाना।
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निरापुन  : वि०=निरापन।
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निराबाध  : वि० [सं० नि्–आबाधा, ब० स०] जिसके साथ छेड़-छाड़ न हो। बाधा-रहित।
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निरामय  : वि० [सं० निर्-आमय, ब० स०] १. जिसे रोग न हो, फलतः नीरोग और स्वस्थ। २. कुशल। पुं० १. जंगली बकरा। २. सूअर।
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निरामिष  : वि० [सं० निर्–अमिष, ब० स०] १. (खाद्य पदार्थ या भोजन) जिसमें आमिष अर्थात् मांस या उसका कोई अंश अथवा रूप (अंडा या मछली) न मिला हो। २. (व्यक्ति) जो मांस (अंडा, मछली आदि) न खाता हो।
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निरामिष भोजी (जिन्)  : वि० [सं० निरामिष√भुज् (खाना)+णिनि] जो मांस न खाता हो; फलतः शाकाहारी। (वेजिटेरियन)
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निराय  : वि० [सं० निर्-आय, ब० स०] १. (व्यक्ति) जिसे आय न हो रही हो। २. (व्यापार) जिससे आय न हो रही हो।
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निरायत  : वि० [सं० निर्-आयत, प्रा० स०] जो फैलाया या बढ़ाया हुआ न हो, फलतः सिकोड़ा हुआ।
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निरायास  : वि० [सं० निर्–आयास, ब० स०] बिना आयास या परिश्रम के होनेवाला। क्रि० वि० बिना आयास या परिश्रम किये।
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निरायुध  : वि० [सं० निर्–आयुध, ब० स०] निरस्त्र।
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निरार (ा)  : वि० [स्त्री० निरारी] १.=निराला। २.=न्यारा।
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निरालंब  : वि० [सं० निर्-आलंब, ब० स०] १. जिसका कोई आलंब या सहारा न हो। २. जिसे कोई आश्रय या सहायता देनेवाला न हो। ३. आधार-हीन।
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निरालंबा  : स्त्री० [सं० निरालंब+टाप्] छोटी जटामासी
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निराल  : वि० [हि. निराला] १. निराला। २. निपट। निरा। ३. विशुद्ध।
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निरालक  : पुं० [सं०] एक तरह की समुद्री मछली।
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निरालभ  : वि०=निरालंब।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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निरालय  : वि० [?] अपवित्र। उदा०–ऐसन देह निरालय बौरे मुए छुवे नहिं कोई हो।–कबीर।
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निरालस  : वि०, पुं०=निरालस्य।
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निरालस्य  : वि० [सं० निर्-आलस्य, ब० स०] जिसे आलस्य न हो, फलतः फुर्तीला। पुं० आलस्य का अभाव।
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निराला  : वि० [सं० निरालय] [स्त्री० निराली] १. (स्थान) जहाँ कोई आदमी या बस्ती न हो। २. एकांत और निर्जन। ३. (बात, वस्तु या व्यक्ति) जो अपनी बनावट, रूप, विशिष्टताओं आदि के कारण सबसे अलग तरह का और अनोखा हो। अनूठा। पुं० ऐसा स्थान जहाँ लोगों की भीड़-भाड़ या आना-जाना न हो। एकांत और निर्जन स्थान।
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निरालोक  : वि० [सं० निर्-आलोक, ब० स०] १. आलोक अर्थात् प्रकाश से रहित। २. अंधकारपूर्ण। अँधेरा। पुं० शिव।
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निरावना  : स०=निराना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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निरावरण  : वि० [सं० निर्-आवरण, ब० स०] जिसके आगे या सामने कोई परदा न पड़ा हो। आवरण-रहित। खुला हुआ। पुं० [भू० कृ० निरावृत] १. आगे या सामने का परदा हटाने की क्रिया या भाव। २. दे० ‘अनावरण’।
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निरावलंब  : वि० [सं० निरवलंब] जिसका कोई अवलंब या सहारा न हो। अवलंब-रहित।
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निरावृत  : भू० कृ० [सं० निर्–आवृत, प्रा० स०] जिस पर से आवरण हटाया गया हो।
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निराश  : वि० [सं० निर्-आशा, ब० स०] [भाव० निराशा] जिसे आशा न रह गई हो, अथवा जिसकी आशा नष्ट हो चुकी हो। हताश।
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निराशक  : वि० दे० ‘निराश’।
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निराशा  : स्त्री० [स्त्री० निर्-आशा, प्रा० स०] १. आशा का अभाव। २. निराश होने की अवस्था या भाव।
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निराशावाद  : पुं० [ष० त०] वह लौकिक सिद्धांत जिसमें यह माना जाता है कि संसार दुःखों से भरा है और इसलिए अच्छी बातों की ओर से मनुष्य को निराश रहना चाहिए, उनकी आशा नहीं करनी चाहिए। (पेसिमिज़्म)
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निराशावादी (दिन्)  : वि० [सं० निराशावादी+इनि] निराशावाद-संबंधी। पुं० वह जो निराशावाद के सिद्धांत को ठीक मानता हो। (पेसिमिस्ट)
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निराशिष्  : वि० [सं० निर्–आशिष्, ब० स०] १. आशीर्वाद शून्य। २. तृष्णा, वासना आदि से रहित।
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निराशी  : वि०=निराश।
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निराश्रय  : वि० [सं० निर्-आश्रय, ब० स०] १. जिसे कहीं कोई आश्रय या सहारा न मिल रहा हो। आश्रय-रहित। आधारहीन। बिना सहारे का। २. जिसका कोई संगी-साथी न हो।
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निरास  : पुं० [सं०] निरसन। (देखें) वि०=निराश।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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निरासन  : वि० [सं० निर्-आसन, ब० स०] आसन-रहित। पुं०=निरसन।
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निरासा  : स्त्री०=निराशा।
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निरासी  : वि०=निराश।
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निरास्वाद  : वि० [सं० निर्-आस्वाद, ब० स०] जिसका या जिसमें स्वाद न हो। स्वाद-रहित।
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निराहार  : वि० [निर्-आहार, ब० स०] १. (व्यक्ति) जिसने भोजन का समय बीत जाने पर भी अभी तक खाया न हो। जिसने अभी तक भोजन न किया हो। २. (कर्म या व्रत) जिसके अनुष्ठान में भोजन न करने का विधान हो। क्रि० वि० बिना भोजन किये। भूखे रह कर। पुं० कुछ न खाने-पीने अर्थात् भूखे रहने की अवस्था या भाव।
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