| शब्द का अर्थ | 
					
				| निशंक					 : | वि०=निःशंक। | 
			
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				| निशंग					 : | पुं०=निषंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश					 : | स्त्री०=निशा (रात्रि)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशचर					 : | वि०, पुं०=निशाचर। | 
			
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				| निशठ					 : | पुं० [सं०] बलदेव के एक पुत्र का नाम। (पुराण) | 
			
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				| निशतर					 : | पुं० [फा०] वह उपकरण जिससे चीर-फाड़ की जाय। नश्तर। (शल्य चिकित्सा) | 
			
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				| निशब्द					 : | वि० [सं० निःशब्द] १. (स्थान) जो शब्द से रहित हो। २. (व्यक्ति) जो चुप या मौन हो। | 
			
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				| निशब्दक					 : | वि० [सं० निःशब्दक] शब्द न करनेवाला। (साइलेंसर) | 
			
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				| निशमन					 : | पुं० [सं० नि√शम् (शान्ति)+णिच्+ल्युट्–अन] १. दर्शन। देखना। २. श्रवण। सुनना। | 
			
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				| निशरण					 : | पुं० [सं० नि√शृ (हिंसा)+ल्युट्–अन] मारण। वध। | 
			
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				| निशल्या					 : | स्त्री० [सं०] दंती (वृक्ष)। | 
			
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				| निशांत					 : | वि० [सं० नि-शांत, प्रा० स०] १. (व्यक्ति) पूर्ण रूप से या बहुत अधिक शांत। २. (वातावरण या स्थान) जिसमें शांति न हो। पुं० १. निशा अर्थात् रात्रि का अंत। पिछली रात। रात का चौथा प्रहर। २. तड़का। प्रभात। ३. घर। मकान। | 
			
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				| निशांध					 : | वि० [सं० निशा-अन्ध, स० त०] जिसे रात को दिखाई न दे। जिसे रतौंधी हो। | 
			
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				| निशांधा					 : | स्त्री० [सं० निशा√अन्ध (दृष्टि-विघात)+अच–टाप्] जतुका लता। | 
			
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				| निशांधी					 : | स्त्री० [सं० निशा√अन्ध्+अच्–ङीष्] १. जतुका या पहाड़ी नामक लता। २. राजकुमारी। | 
			
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				| निशा					 : | स्त्री० [सं० नि√शो (क्षीण करना)+क–टाप्] १. रात्रि। रजनी। रात। २. हलदी। ३. दारू हलदी। ४. फलित ज्योतिष में, इन छः राशियों का समूह–मेष, वृष, मिथुन, कर्क, धनु और मकर। | 
			
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				| निशाकर					 : | वि० [सं० निशा√कृ (करना)+ट] निशा करनेवाला। पुं० १. चन्द्रमा। २. महादेव। शिव। ३. कुक्कुट। मुरगा। ४. कपूर। | 
			
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				| निशा-केतु					 : | पुं० [सं० ष० त०] चन्द्रमा। | 
			
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				| निशाखातिर					 : | स्त्री० [फा० निशा+अ० खातिर] किसी काम या बात के संबंध में मन में होनेवाला वह पूरा विश्वास जो किसी दूसरे के समझाने पर उत्पन्न होता है। | 
			
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				| निशाख्या					 : | स्त्री० [सं० निशा-आख्या, ब० स०] हलदी। | 
			
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				| निशा-गृह					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] शयनागार। | 
			
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				| निशाचर					 : | वि० [सं० निशा√चर्(गति)+ट] रात के समय चलने या विचरण करनेवाला। पुं० १. राक्षस। २. गीदड़। ३. उल्लू। ४. साँप। ५. चकवा-पक्षी। चक्रवाक। ६. भूत, प्रेत आदि। ७. चोर। ८. महादेव। शिव। ९. चनेर नामक गंध-द्रव्य। १॰. बिल्ली। ११. एक प्रकार की ग्रंथिपर्णी या गठिवन। | 
			
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				| निशाचर-पति					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. रावण। २. शिव। | 
			
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				| निशाचरी					 : | वि० [सं० निशाचर+ङीष्] १. निशाचर-संबंधी। निशाचर का। जैसे–निशाचरी माया। २. निशाचरों की तरह का। स्त्री० १. राक्षसी। २. कुलटा या व्यभिचारिणी। ३. अभिसारिका। नायिका। ४. केशिनी नामक गंध-द्रव्य। | 
			
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				| निशा-चर्म					 : | पुं० [सं० स० त०] अंधकार। अंधेरा। | 
			
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				| निशा-जल					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] १. हिम। पाला। २. ओस। | 
			
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				| निशाट					 : | पुं० [सं० निशा√अट् (भ्रमण)+अच्] १. उल्लू। २. निशाचर। | 
			
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				| निशाटक					 : | पुं० [सं० निशा√अट्+ण्वुल्–अक] गूगल। | 
			
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				| निशाटन					 : | वि० [सं० निशा√अट्+ल्यु–अन] रात्रि को चलनेवाला। निशाचर। पुं० उल्लू। | 
			
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				| निशात					 : | वि० [सं० नि√शो (तेज करना)+क्त] १. सान पर चढ़ाकर तेज किया हुआ। २. ओर आदि लगाकर चमकाया हुआ। वि० [फा० नशात] १. आनंद। सुख। २. सुखभोग। | 
			
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				| निशातिक्रम, निशात्मय					 : | पुं० [सं० निशा-अतिक्रम, निशा-अत्यय, ष० त०] १. रात का बीतना। २. प्रातःकाल। | 
			
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				| निशाद					 : | वि० [सं० निशा√अद् (खाना)+अच्] रात को खानेवाला। पुं० निषाद। (दे०) | 
			
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				| निशादि					 : | वि० [सं० निशा-आदि, ब० स० या ष० त०] सायं। संध्या। | 
			
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				| निशान					 : | पुं० [फा०] १. चिह्न। लक्षण। २. ऐसा प्राकृत या आकस्मिक चिह्न या लक्षण जिससे कोई चीज पहचानी जाय या जिससे किसी घटना या बात का परिचय, प्रमाण या सूत्र मिले। ३. मोहर आदि की छाप। ४. झंडा या पताका जिससे किसी संप्रदाय, राज्य आदि की पहचान होती है। ५. प्राचीन काल में वह झंडा जो राजाओं की सवारियों के आगे चलता था। ६. कलंक। धब्बा। ७. वह चिह्न जो लेख्यों आदि पर अशिक्षित लोग अपने हस्ताक्षर के बदले बनाते हैं। जैसे–अगूँठे का निशान। ८. पता। ठिकाना। मुहा०–निशान-देना=सम्मान आदि तामील करने के लिए यह बताना कि यही असामी है। ९. निशाना। १॰. दे० ‘निशानी’। | 
			
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				| निशान-कोना					 : | पुं० [सं० ईशान+हिं० कोना] उत्तर और पूर्व का कोण। | 
			
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				| निशानची					 : | वि० [फा०] १. बढ़िया निशाना लगानेवाला। पुं० जुलूस या राजा आदि की सवारी के आगे-आगे झंडा लेकर चलनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| निशान-देही					 : | स्त्री० [फा० निशाँ देही] १. किसी का पता-ठिकाना बतलाना। २. न्यायालय के सम्मन आदि की तामील के लिए चपरासी के साथ जाकर यह बतलाना कि यही वह आदमी है जिसे सम्मन दिया जाना चाहिए। प्रतिवादी की पहचान कराना। | 
			
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				| निशान-पट्टी					 : | स्त्री० [फा० निशान+हिं० पट्टी] १. चेहरे की गठन और रूप रंग का वर्णन। हुलिया। | 
			
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				| निशान-बरदार					 : | पुं० [फा०] झंडा हाथ में लेकर जुलूस, सवारी आदि के आगे चलनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| निशाना					 : | पुं० [फा० निशानः] १. वह वस्तु या बिंदु जिस पर शस्त्र से आघात किया जाय। क्रि० प्र०–करना।–बनाना। २. किसी पदार्थ को लक्ष्य बनाकर उसकी ओर किसी प्रकार का वार करने की क्रिया। वार। मुहा०–निशाना बाँधना=निशाना साधना। (देखें नीचे) निशाना मारना या लगाना=(क) ठीक लक्ष्य पर वार करना। (ख) ठीक लक्ष्य पर वार करने का अभ्यास करना। ३. मिट्टी आदि का वह ढेर या और कोई पदार्थ, जिस पर निशाना साधा जाय ४. वह जिसे लक्ष्य बनाकर कोई उग्र या विकट आघात या क्रिया की जाय। जैसे–किसी की नजर का निशाना, किसी के ताने या व्यंग्य का निशाना। | 
			
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				| निशा-नाथ					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. चंद्रमा। ३. कपूर। | 
			
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				| निशानी					 : | स्त्री० [फा०] १. वह चीज जो किसी घटना या व्यक्ति का स्मरण करनेवाली हो। स्मृति-चिह्न। यादगार। जैसे–(क) यही लड़का भाई साहब की निशानी है। (ख) विधवा के पास यही अँगूठी उसके पति की निशानी बच रही है। क्रि० प्र०–देना।–रखना। २. पहचान का चिह्न। निशान। | 
			
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				| निशा-पति					 : | पुं० [ष० त०] १. चंद्रमा। २. कपूर। | 
			
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				| निशा-पुत्र					 : | पुं० [ष० त०] नक्षत्र आदि आकाशीय पिंड। | 
			
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				| निशापुष्प					 : | पुं० [सं० निशा√पुष्प् (खिलना)+अच्] कुमुदनी। कोई। | 
			
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				| निशा-बल					 : | पुं० [ब० स०] मेष, वृष, मिथुन, कर्क, धन और मकर ये छः राशियाँ जो रात के समय अधिक बलवती मानी जाती हैं। (फलित ज्योतिष) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-भंगा					 : | स्त्री० [ब० स०, टाप्] दुग्धपुच्छी नामक पौधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-मणि					 : | पुं० [ष० त०] १. चंद्रमा। २. कपूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशामन					 : | पुं० [सं० नि√शम् (शांति)+णिच्+ल्युट्–अन] १. दर्शन। देखना। २. आलोचना। ३. श्रवण। सुनना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-मुख					 : | पुं० [ष० त०] संध्या काल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-मृग					 : | पुं० [मध्य० स०] गीदड़। श्रृगाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-रत्न					 : | पुं० [ष० त०] १. चंद्रमा। २. कपूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-रुक					 : | पुं० दे० ‘निशासक’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-वन					 : | पुं० [ब० स०] सन का पौधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशावसान					 : | पुं० [निशा-अवसान, ष० त०] निशा के समाप्त होने का समय। प्रभात का समय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशा-विहार					 : | पुं० [ब० स०] राक्षस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशासक					 : | पुं० [सं०] संगीत में एक प्रकार का रूपक ताल जिसमें दो लघु और दो गुरु मात्राएँ होती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशास्ता					 : | पुं० [फा० नशास्तः] १. गेहूँ का सार। २. कपड़ों में लगाया जानेवाला कलफ या माड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निशाहस					 : | पुं० [सं० निशा√हस् (हँसना)+अच्] कुमुदनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशा-हासा					 : | स्त्री० [ब० स०, टाप्] शेफालिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशाह्वा					 : | स्त्री० [सं० निंशा-आह्वा, ब० स०, टाप्] १. हलदी। २. जतुका नामक लता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशि					 : | स्त्री० [सं० नि√शो+इन् ?] १. रात्रि। रात। २. स्वप्न। ३. हलदी। ४. एक प्रकार का वर्ण-वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक भगण और एक लघु होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिकर					 : | पुं० [सं० निशि √कृ०+ट] १. चंद्रमा। शशि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिचर					 : | पुं० [सं० निशि√चर् (गति)+ट]=निशाचर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिचर-राज					 : | पुं० [सं० ष० त०] राक्षसों का राजा, विभीषण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशित					 : | वि० [सं० नि√शो (तीक्ष्ण करना)+क्त] जो सानपर चढ़ा हो अर्थात् चोखा या तेज। पुं० लोहा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिता					 : | स्त्री० [सं० निशित्+टाप्] रात्रि। निशा। रात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिदिन					 : | अव्य० [सं० निशि+दिन] १. रात-दिन। २. सदा। सर्वदा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिनाथ					 : | पुं०=निशानाथ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशि-नायक					 : | पुं०=निशिनाथ (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशि-पति					 : | पुं० [ष० त०] चंद्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिपाल					 : | पुं० [सं० निशि√पाल् (बचाना)+णिच्+अच्] १. चंद्रमा। २. एक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः भगण, जगण, नगण और रगण होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशि-पुष्पा					 : | स्त्री० [ब० स०] शेफालिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशिपुष्पिका, निशिपुष्पी					 : | स्त्री० [ब० स०, कप्, टाप्, इत्व; ब० स०, ङीष्] शेफालिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशि-वासर					 : | अव्य० [द्व० स०] १. रात-दिन। २. सदा। सर्वदा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशीत					 : | पुं०=निशीथ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशीय					 : | पुं० सं० नि√शी (सोना)+थक्] १. रात०। २. आधी रात। ३. पुराणानुसार रात्रि का एक कल्पित पुत्र। ४. छाल या रेशे से बना हुआ कपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशीथ-नाथ					 : | पुं० [ष० त०] १. चंद्रमा। २. कपूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशीथ्या					 : | स्त्री० [सं०] रात्रि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशुंभ					 : | पुं० [सं० नि√शुम्भ (हिंसा)+घञ्] १. वध। २. हिंसा। दनु का पुत्र एक राक्षस जिसका वध दुर्गा ने किया था। (पुराण) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशुंभन					 : | पुं० [सं० नि√शुम्भ +ल्युट्–अन] मार डालना। वध करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशुंभ-मर्दिनी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशुंभी (मिन्)					 : | पुं० [सं० निशुंभ=मोहनाश+इनि] एक बुद्ध का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशेश					 : | पुं० [सं० निशा-ईश, ष० त०] निशा के पति, चंद्रमा। वि०=निःशेष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशैत					 : | पुं० [सं० निशा-एत=(गमन), ब० स०] बगुला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निशोत्सर्ग					 : | पुं० [सं० निशा-उत्सर्ग, ष० त०] प्रभात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्कुल					 : | वि० दे० ‘निष्कुल’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चक्रिक					 : | वि० [सं०] छल-छद्म से रहित, फलतः ईमानदार या सच्चा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निश्चक्षु					 : | वि० [सं० निर्-चक्षुस्, ब० स०] नेत्रहीन। अंधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निश्चंद्र					 : | वि० [सं० निर्-चंद्र, ब०स०] १. चंद्रमा रहित। २. जिसमें आभा या चमक न हो। फीका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चय					 : | पुं० [सं० निर्√चि (चयन)+अप्] १. कोई कार्य करने का अंतिम निर्णय या संकल्प करना। ३. इस प्रकार ठीक की हुई बात या प्रस्ताव। (रिजोल्यूशन) ३. निर्णय। ४. एक अर्थालंकार जिसमें एक बात का निषेध करके प्रकृत या यथार्थ बात के स्थापन का उल्लेख होता है। (सर्टेन्टी) ५. विश्वास। अव्य० निश्चित रूप से। अवश्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चयात्मक					 : | वि० [सं० निश्चय-आत्मन्, ब० स०, कप्] [भाव० निश्चयात्मकता] निश्चय के रूप में होने वाला। | 
			
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				| निश्चर					 : | पुं० [सं०] एकादश मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। पुं०=निशाचर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चयेन					 : | अव्य० [सं० निश्चय का विभक्त्यन्त रूप] निश्चत रूप से। निश्चयपूर्वक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चल					 : | वि० [सं० निर्√चल (गति)+अच्] [भाव० निश्चलता] १. जो अपने स्थान से जरा भी इधर-उधर चलता या हिलता-डोलता न हो। अचल। स्थिर। २. अपरिवर्तनशील। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चलता					 : | स्त्री० [सं० निश्चल+तल्+टाप्] निश्चल होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चलांग					 : | वि [सं० निश्चल-अंग, ब० स०] जिसके अंग हिलते-डुलते न हों। सदा अचल या स्थिर रहनेवाला। पुं० १. पवत। २. बगुला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चायक					 : | वि० [सं० निर्√चि+ण्वुल्–अक] १. एक रोग जिसमें बहुत दस्त आते हैं। २. वायु। हवा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चिंत					 : | वि० [सं० निर्-चिन्ता, ब० स०] [भाव० निश्चिंतता] (व्यक्ति) जिसे कोई चिंता न हो। बेफिक्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निश्चिंतता					 : | स्त्री० [सं० निश्चिंत+तल्+टाप्] निश्चिंत होने की अवस्था या भाव। बे-फिक्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चित					 : | भू. कृ० [सं० निर्√चि+क्त] १. (बात या प्रस्ताव) जिसके संबंध में निश्चय हो चुका हो। २. जो अटल या स्थिर हो। ३. जो यथार्थ या सत्य हो। ४. जिसमें कोई परिवर्तन न हो सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चितई					 : | स्त्री०=निश्चिंतता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निश्चिति					 : | स्त्री० [सं० निर्√चि+क्तिन्] १. निश्चित करने की क्रिया या भाव। २. निश्चय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चिरा					 : | स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी। (महाभारत) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निश्चिला					 : | स्त्री० [सं०] १. शालपर्णी। २. पृथ्वी। ३. पुराणानुसार एक नदी। | 
			
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				| निश्चिवकण					 : | पुं० [सं० निर्-चुक्कण, ब० स०] मिस्सी। | 
			
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				| निश्चेतन					 : | वि० [सं० निर्-चेतन, ब० स०] चेतना या संज्ञा रहित। पुं० चेतना से रहित करना। | 
			
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				| निश्चेष्ट					 : | वि० [सं० निर्-चेष्टा, ब० स०] जो चेष्टा न करता हो या न कर रहा हो। | 
			
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				| निश्चेष्ट-करण					 : | पुं० [ष० त०] १. निश्चेष्ट करने की क्रिया या भाव। २. कामदेव का एक वाण। ३. वैद्यक में, एक प्रकार का औषध। | 
			
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				| निश्चेष्टीकरण					 : | पुं० [सं० निश्चेष्ट+च्वि, ईत्व √कृ+ल्युट्–अन]=निश्चेष्ट-करण। | 
			
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				| निश्चै					 : | पुं० अव्य०=निश्चय। | 
			
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				| निश्चयवन					 : | पुं० [सं०] १. वैवस्त मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक ऋषि का नाम (पुराण)। २. एक प्रकार की अग्नि। (महाभारत) | 
			
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				| निश्छंद (स्)					 : | वि० [सं० निर-छंदस्, ब० स०] जिसने वेद न पढ़ा हो। | 
			
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				| निश्चल					 : | वि० [सं० निर-छल, ब० स०] १. (व्यक्ति) छल-कपट से रहित। २. (हृदय) जिसमें छल-कपट न भरा हो। | 
			
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				| निश्छाय					 : | वि० [सं० निर-छाया, ब० स०] छाया रहित। | 
			
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				| निश्छेद					 : | पुं० [सं० निर-छेद, ब० स०] गणित में वह राशि, जिसका किसी गुणक के द्वारा भाग न दिया जा सके। अविभाज्य। | 
			
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				| निश्रम					 : | पुं० [सं० निःश्रम] न थकना। | 
			
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				| निश्रयणी					 : | स्त्री० [सं० निःश्रयणी] सीढ़ी। | 
			
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				| निश्रीक					 : | पुं० [सं० निःश्रीक] सीढ़ी। | 
			
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				| निश्रेणिका तृण					 : | पुं० [सं० निःश्रेणिकातृण] एक तरह की घास, जिसके खाने से पशु निर्बल हो जाते हैं। | 
			
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				| निश्रेणी					 : | स्त्री० [सं० निःश्रेणी] १. सीढ़ी। जीना। २. वह साधन जिसके द्वारा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक पहुँचा जाय। ३. मुक्ति। ४. खजूर का पेड़। | 
			
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				| निश्रेयस					 : | पुं० [सं० निःश्रेयस्] १. दुःख का अत्यन्त अभाव। २. मोक्ष। ३. कल्याण। मंगल। | 
			
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				| निश्वास					 : | पुं० [सं० निःश्वास] १. अन्दर खींचा हुआ साँस बाहर निकालना या छोड़ना। २. नाक या मुंह से बाहर निकलनेवाला श्वास। ३. गहरी या ठंढा साँस। | 
			
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				| निश्शंक					 : | वि०=निःशंक। | 
			
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				| निश्शक्त					 : | वि०=निःशक्त। | 
			
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				| निश्शर					 : | वि० [सं० निःशर] शर या वाण से रहित। | 
			
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				| निश्शील					 : | वि० [सं० निःशील] [भाव० निश्शीलता] १. जिसका शील या स्वभाव अच्छा न हो। २. जिसमें शील या संकोच न हो। बे-मुरौवत। | 
			
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				| निश्शेष					 : | वि०=निःशेष। | 
			
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