| शब्द का अर्थ | 
					
				| न्यार					 : | पुं० [हिं० निवार] पसही धान। मुन्यन्न। पुं०=नियार। (देखें) वि०=न्यारा। | 
			
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				| न्यारा					 : | वि० [सं० निर्निकट, प्रा० निन्निअड़, पुं० हिं० निन्यार] [स्त्री० न्यारी] १. जो पास न हो। २. अलग। जुदा। पृथक्। ३. अन्य। दूसरा। भिन्न। जैसे–यह बात न्यारी है। ४. जो अपने किसी विलक्षण गुण या विशेषता के कारण औरों से भिन्न और श्रेष्ठ हो। निराला। जैसे–मथुरा तीन लोक से न्यारी। (कहा०) | 
			
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				| न्यारिया					 : | पुं० [हिं० नियार] वह व्यक्ति जो जौहरियों, सुनारों आदि की दुकानों में से निकाला हुआ नियार (कूड़ा-करकट) साफ करके उसमें से रत्नों, सोने-चाँदी आदि के कण निकालने का काम करता हो। | 
			
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				| न्यारे					 : | क्रि० वि० [हिं० न्यारा] १. अलग। पृथक्। २. दूर। | 
			
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