| शब्द का अर्थ | 
					
				| पत्ति					 : | पुं० [सं०√पद् (जाना)+क्तिन्] १. पैदल चलनेवाला व्यक्ति। २. पैदल सिपाही। प्यादा। ३. योद्धा। वीर। ४. नायक। स्त्री० प्राचीन भारतीय सेना की एक इकाई जो सेनामुख की एक तिहाई होती थी। | 
			
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				| पत्तिक					 : | वि० [सं० पत्ति+कन्] पैदल चलनेवाला। | 
			
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				| पत्ति-काय					 : | पुं० [ष० त०] १. पैदल सेना। २. पैदल चलने वाला सिपाही। | 
			
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				| पत्तिगण					 : | पुं०=पत्ति-गणक। | 
			
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				| पत्ति-गणक					 : | पुं० [ष० त०] प्राचीन भारत में, वह सैनिक अधिकारी जो पत्ति अर्थात् पैदल सेना की गणना करता था। | 
			
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				| पत्तिपाल					 : | पुं० [सं० पत्ति√पाल् (रक्षा)+णिच्=अण्, ष० त०] पत्ति का नायक। | 
			
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				| पत्ति-सैन्य					 : | पुं० [कर्म० स०] दे० ‘पत्ति-काय’। | 
			
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