शब्द का अर्थ
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परिन्यास :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. किसी पद, वाक्य आदि के भाव में पूर्णता लाना जो साहित्य में एक विशिष्ट गुण माना गया है। २. साहित्यिक रचना में उक्त प्रकार का स्थल। ३. नाटक में आख्यान बीज अर्थात् मुख्य कथा की मूलभूत घटना का संकेत करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिन्यास :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. किसी पद, वाक्य आदि के भाव में पूर्णता लाना जो साहित्य में एक विशिष्ट गुण माना गया है। २. साहित्यिक रचना में उक्त प्रकार का स्थल। ३. नाटक में आख्यान बीज अर्थात् मुख्य कथा की मूलभूत घटना का संकेत करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |