शब्द का अर्थ
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परिमा :
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स्त्री० [सं० परि√मा (मापना)+अङ्+टाप्] १. सीमा। हद। २. ज्यामिति में, किसी क्षेत्र की सीमा सूचित करनेवाली रेखा। (बाउंड) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाण :
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पुं० [सं० परि√मा+ल्युट्—अन] १. गिनने, तौलने, मापने आदि पर प्राप्त होनेवाला फल। २. नाप, जोख तौल आदि की दृष्टि से किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई, भार, घनत्व विस्तार आदि। मान। (क्वान्टिटी) ३. चारों ओर का विस्तार। घेरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाणक :
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पुं० [सं० परिमाण+कन्] १. परिमाण। २. तौल। भार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाण-मंडल :
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पुं० [सं०] भूगर्भ-शास्त्र में पृथ्वी के तीन मुख्य पटलों या विभागों में बीच का पटल या विभाग जो अनेक प्रकार की धातु-मिश्रित चट्टानों का बना हुआ गरम और ठोस है और जिसके ऊपरी पटल पर मनुष्य बसते और वनस्पतियाँ उगती हैं। (बैरिस्फीयर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाणी (णिन्) :
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वि० [सं० परिमाण+इनि] परिमाण युक्त। परिमाण विशिष्ट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाता (तृ) :
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वि० [सं० परि√मा+तृच्] परिमाण का पता लगानेवाला। परिमाण स्थिर करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाथी (थिन्) :
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वि० [सं० परि√मथ् (मथना)+ णिनि] कष्ट देनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमान :
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पुं०=परिमाण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमाप :
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पुं० [सं० परि√मा+णिच्, पुक्+ल्युट्—अन] १. मापने या नापने की क्रिया या भाव। २. लंबाई, चौड़ाई की नाप या लेखा। (डाइमेंशन) ३. वह उपकरण जिससे कोई चीज मापी या नापी जाय। (स्केल) ४. ज्यामिति में किसी आकृति, क्षेत्र या तल को चारों ओर से घेरनेवाली बाहरी रेखा अथवा ऐसी रेखा की लंबाई या विस्तार। (परिमीटर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमार्ग :
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पुं० [सं० प्रा० स०] किसी चीज के चारों ओर बना हुआ पथ या मार्ग। परिपथ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमार्गन :
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पुं० [सं० परि√मार्ग (खोजना)+ल्युट्—अन ] १. टोह या पता लगाने के लिए चारों ओर जाना। २. अन्वेषण। ३. मन-बहलाव या सैर-सपाटे के लिए घूमना। (एक्सकर्शन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमार्गी (गिन्) :
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वि० [सं० परि√मार्ग+णिनि] टोह या पता लगाने वाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमार्जक :
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वि० [सं० परि√मृज् (शुद्धि करना)+ ण्वुल्—अक] परिमार्जन करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमार्जन :
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पुं० [सं० परि√मृज्+णिच्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिमार्जित] १. साफ करने के लिए अच्छी तरह धोना। २. अच्छी तरह साफ करना। ३. साहित्य में, उनकी त्रुटियों, कमियों आदि को दूर करना और इस प्रकार उन्हें उज्जवल बनाना। ४. भूलें आदि सुधारना। ५. प्राचीन भारत में एक प्रकार की मिठाई जो शहद में पागकर बनाई जाती थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमार्जित :
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भू० कृ० [सं० परि√मृज्+णिच्+क्त] जिसका परिमार्जन किया गया हो या हुआ हो। स्वच्छ किया या सुधारा हुआ। |
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परिमा :
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स्त्री० [सं० परि√मा (मापना)+अङ्+टाप्] १. सीमा। हद। २. ज्यामिति में, किसी क्षेत्र की सीमा सूचित करनेवाली रेखा। (बाउंड) |
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परिमाण :
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पुं० [सं० परि√मा+ल्युट्—अन] १. गिनने, तौलने, मापने आदि पर प्राप्त होनेवाला फल। २. नाप, जोख तौल आदि की दृष्टि से किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई, भार, घनत्व विस्तार आदि। मान। (क्वान्टिटी) ३. चारों ओर का विस्तार। घेरा। |
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पुं० [सं० परिमाण+कन्] १. परिमाण। २. तौल। भार। |
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पुं० [सं०] भूगर्भ-शास्त्र में पृथ्वी के तीन मुख्य पटलों या विभागों में बीच का पटल या विभाग जो अनेक प्रकार की धातु-मिश्रित चट्टानों का बना हुआ गरम और ठोस है और जिसके ऊपरी पटल पर मनुष्य बसते और वनस्पतियाँ उगती हैं। (बैरिस्फीयर) |
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वि० [सं० परिमाण+इनि] परिमाण युक्त। परिमाण विशिष्ट। |
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परिमाता (तृ) :
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वि० [सं० परि√मा+तृच्] परिमाण का पता लगानेवाला। परिमाण स्थिर करनेवाला। |
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वि० [सं० परि√मथ् (मथना)+ णिनि] कष्ट देनेवाला। |
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पुं०=परिमाण। |
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पुं० [सं० परि√मा+णिच्, पुक्+ल्युट्—अन] १. मापने या नापने की क्रिया या भाव। २. लंबाई, चौड़ाई की नाप या लेखा। (डाइमेंशन) ३. वह उपकरण जिससे कोई चीज मापी या नापी जाय। (स्केल) ४. ज्यामिति में किसी आकृति, क्षेत्र या तल को चारों ओर से घेरनेवाली बाहरी रेखा अथवा ऐसी रेखा की लंबाई या विस्तार। (परिमीटर) |
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पुं० [सं० प्रा० स०] किसी चीज के चारों ओर बना हुआ पथ या मार्ग। परिपथ। |
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पुं० [सं० परि√मार्ग (खोजना)+ल्युट्—अन ] १. टोह या पता लगाने के लिए चारों ओर जाना। २. अन्वेषण। ३. मन-बहलाव या सैर-सपाटे के लिए घूमना। (एक्सकर्शन) |
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वि० [सं० परि√मार्ग+णिनि] टोह या पता लगाने वाला। |
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वि० [सं० परि√मृज् (शुद्धि करना)+ ण्वुल्—अक] परिमार्जन करनेवाला। |
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परिमार्जन :
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पुं० [सं० परि√मृज्+णिच्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिमार्जित] १. साफ करने के लिए अच्छी तरह धोना। २. अच्छी तरह साफ करना। ३. साहित्य में, उनकी त्रुटियों, कमियों आदि को दूर करना और इस प्रकार उन्हें उज्जवल बनाना। ४. भूलें आदि सुधारना। ५. प्राचीन भारत में एक प्रकार की मिठाई जो शहद में पागकर बनाई जाती थी। |
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परिमार्जित :
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भू० कृ० [सं० परि√मृज्+णिच्+क्त] जिसका परिमार्जन किया गया हो या हुआ हो। स्वच्छ किया या सुधारा हुआ। |
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