शब्द का अर्थ
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परिवाद :
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पुं० [सं० परि√वद् (बोलना)+घञ्] १. निंदा। बुराई। शिकायत। २. बदनामी। ३. झूठी निन्दा या शिकायत। मिथ्या दोषारोपण। ४. कोई असुविधा या कष्ट होने पर अधिकारियों के सामने की जानेवाली किसी काम, बात, व्यक्ति आदि की शिकायत। (कम्पलेन्ट) ५. लोहे के तारों का वह छल्ला जिसे उँगली पर पहनकर वीणा, सितार आदि बजाई जाती है। मिजराब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिवादक :
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वि० [सं० परि√वद्+ण्वुल्—अक] १. परिवाद या निंदा करनेवाला। निंदक। २. शिकायत करनेवाला। पुं० वह जो वीणा, सितार या इसी तरह का और कोई बाजा बजाता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिवादिनी :
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स्त्री० [सं० परिवादिन्+ङीष्] एक तरह की वीणा जिसमें सात तार होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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परिवादी (दिन्) :
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वि० [सं० परि√वद्+णिनि]= परिवादक। |
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परिवाद :
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पुं० [सं० परि√वद् (बोलना)+घञ्] १. निंदा। बुराई। शिकायत। २. बदनामी। ३. झूठी निन्दा या शिकायत। मिथ्या दोषारोपण। ४. कोई असुविधा या कष्ट होने पर अधिकारियों के सामने की जानेवाली किसी काम, बात, व्यक्ति आदि की शिकायत। (कम्पलेन्ट) ५. लोहे के तारों का वह छल्ला जिसे उँगली पर पहनकर वीणा, सितार आदि बजाई जाती है। मिजराब। |
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परिवादक :
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वि० [सं० परि√वद्+ण्वुल्—अक] १. परिवाद या निंदा करनेवाला। निंदक। २. शिकायत करनेवाला। पुं० वह जो वीणा, सितार या इसी तरह का और कोई बाजा बजाता हो। |
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परिवादिनी :
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स्त्री० [सं० परिवादिन्+ङीष्] एक तरह की वीणा जिसमें सात तार होते हैं। |
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परिवादी (दिन्) :
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वि० [सं० परि√वद्+णिनि]= परिवादक। |
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