| शब्द का अर्थ | 
					
				| पर्जंक					 : | पुं०=पर्यंक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्ज					 : | स्त्री०=परज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्जनी					 : | स्त्री० [सं०√पृज् (स्पर्श करना)+अन्, ङीष्] दारू हल्दी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्जन्य					 : | पुं० [सं०√पृष् (सींचना)+अन्य, ष—ज] १. गरजता तथा बरसता हुआ बादल। मेघ। २. इंद्र। ३. विष्णु। ४. कश्यप ऋषि के एक पुत्र जिसकी गिनती गंधर्वों में होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्जन्या					 : | स्त्री० [सं० पर्जन्य+टाप्] दारू हल्दी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्जंक					 : | पुं०=पर्यंक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्ज					 : | स्त्री०=परज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्जनी					 : | स्त्री० [सं०√पृज् (स्पर्श करना)+अन्, ङीष्] दारू हल्दी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्जन्य					 : | पुं० [सं०√पृष् (सींचना)+अन्य, ष—ज] १. गरजता तथा बरसता हुआ बादल। मेघ। २. इंद्र। ३. विष्णु। ४. कश्यप ऋषि के एक पुत्र जिसकी गिनती गंधर्वों में होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्जन्या					 : | स्त्री० [सं० पर्जन्य+टाप्] दारू हल्दी। | 
			
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