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			| शब्द का अर्थ |  
				| पर्ण-कृच्छ					 : | पुं० [ब० स०] एक प्रकार का पाँच दिनों का व्रत जिसमें पहले दिन ढाक के पत्तों का, दूसरे दिन गूलर के पत्तों का, तीसरे दिन कमल के पत्तों का, चौथे दिन बेल के पत्तों का पीकर पाँचवें दिन कुश का काढ़ा पीया जाता था। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| पर्ण-कृच्छ					 : | पुं० [ब० स०] एक प्रकार का पाँच दिनों का व्रत जिसमें पहले दिन ढाक के पत्तों का, दूसरे दिन गूलर के पत्तों का, तीसरे दिन कमल के पत्तों का, चौथे दिन बेल के पत्तों का पीकर पाँचवें दिन कुश का काढ़ा पीया जाता था। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |