| शब्द का अर्थ | 
					
				| पर्यस्त					 : | भू० कृ० [सं० परि√अस्+क्त] जिसका पर्यसन हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्यस्तापह्नुति					 : | स्त्री० [सं० पर्यस्ता-अपह्नुति, कर्म० स०] अपह्नुति अलंकार का एक भेद जिसमें किसी उपमान के धर्म का निषेध करके उस धर्म की स्थापना उपमेय में की जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्यस्ति					 : | स्त्री० [सं० परि√अस्+क्तिन्] १. दूर करना। २. वीरासन लगाकर बैठना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्यस्तिका					 : | स्त्री० [सं० पर्यस्ति+कन्+टाप्] १. वीरासन। २. पलंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्यस्त					 : | भू० कृ० [सं० परि√अस्+क्त] जिसका पर्यसन हुआ हो। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्यस्तापह्नुति					 : | स्त्री० [सं० पर्यस्ता-अपह्नुति, कर्म० स०] अपह्नुति अलंकार का एक भेद जिसमें किसी उपमान के धर्म का निषेध करके उस धर्म की स्थापना उपमेय में की जाती है। | 
			
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				| पर्यस्ति					 : | स्त्री० [सं० परि√अस्+क्तिन्] १. दूर करना। २. वीरासन लगाकर बैठना। | 
			
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				| पर्यस्तिका					 : | स्त्री० [सं० पर्यस्ति+कन्+टाप्] १. वीरासन। २. पलंग। | 
			
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