| शब्द का अर्थ | 
					
				| पाखा					 : | पुं० [सं० पक्ष, प्रा० पक्ख] १. कोना। छोर। २. कुछ दीवारों में ऊपर की ओर की वह रचना जो बीच में सबसे ऊँची और दोनों ओर ढालुई होती है। (ऐसी रचना इसलिए होती है कि उसके ऊपर ढालई छत या छाजन डाली जा सके) ३. दरवाजों के दोनों ओर के वे स्थान जिनके साथ, दरवाजे के खुले होने की अवस्था में किवाड़ लगे या सटे रहते हैं। ४. पाख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाखान					 : | पुं०=पाषाण (पाथर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाखान भेद					 : | पुं०=पाषाण भेद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाखाना					 : | पुं० [फा० पाखान | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाखा					 : | पुं० [सं० पक्ष, प्रा० पक्ख] १. कोना। छोर। २. कुछ दीवारों में ऊपर की ओर की वह रचना जो बीच में सबसे ऊँची और दोनों ओर ढालुई होती है। (ऐसी रचना इसलिए होती है कि उसके ऊपर ढालई छत या छाजन डाली जा सके) ३. दरवाजों के दोनों ओर के वे स्थान जिनके साथ, दरवाजे के खुले होने की अवस्था में किवाड़ लगे या सटे रहते हैं। ४. पाख। | 
			
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				| पाखान					 : | पुं०=पाषाण (पाथर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पाखान भेद					 : | पुं०=पाषाण भेद। | 
			
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				| पाखाना					 : | पुं० [फा० पाखान | 
			
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