शब्द का अर्थ
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पाछ :
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स्त्री० [हिं० पाछना] १. पाछने अर्थात् जंतु या पौधे के शरीर पर धूरी की तीखी धार लगाकर उसका रक्त या रस निकालने की क्रिया या भाव। क्रि० प्र०—देना।—लगाना। २. उक्त कार्य के लिए लगाया हुआ क्षत या किया हुआ घाव । ३. पोस्ते के डोंडे पर छुरी से किया जानेवाला वह क्षत जिसमें से गोंद के रूप में अफीम बाहर निकलती है। पुं० [सं० पश्चात्, प्रा० पच्छा] किसी चीज का पिछला भाग। पीछा। अव्य०=पीछे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछना :
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स० [हिं० पंछा] किसी जीव या पौधे की त्वचा या खाल पर इस प्रकार हलका घाव करना जिससे उसका रक्त या रस थोड़ा थोड़ा करके बाहर निकलने लगे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछल, पाछुल :
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वि०=पिछला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अव्य०=पीछे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछा :
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पुं० १. दे० ‘पाछ’। २. दे० ‘पीछा’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछिल :
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विं०=पिछला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछी :
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अव्य० [हिं० पाछ] पीछे की ओर। पीछे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछू :
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अव्य०=पीछे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछें, पाछे :
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अव्य०=पीछे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाछ :
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स्त्री० [हिं० पाछना] १. पाछने अर्थात् जंतु या पौधे के शरीर पर धूरी की तीखी धार लगाकर उसका रक्त या रस निकालने की क्रिया या भाव। क्रि० प्र०—देना।—लगाना। २. उक्त कार्य के लिए लगाया हुआ क्षत या किया हुआ घाव । ३. पोस्ते के डोंडे पर छुरी से किया जानेवाला वह क्षत जिसमें से गोंद के रूप में अफीम बाहर निकलती है। पुं० [सं० पश्चात्, प्रा० पच्छा] किसी चीज का पिछला भाग। पीछा। अव्य०=पीछे। |
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समानार्थी शब्द-
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पाछना :
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स० [हिं० पंछा] किसी जीव या पौधे की त्वचा या खाल पर इस प्रकार हलका घाव करना जिससे उसका रक्त या रस थोड़ा थोड़ा करके बाहर निकलने लगे। |
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पाछल, पाछुल :
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वि०=पिछला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अव्य०=पीछे। |
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पाछा :
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पुं० १. दे० ‘पाछ’। २. दे० ‘पीछा’। |
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पाछिल :
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विं०=पिछला। |
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पाछी :
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अव्य० [हिं० पाछ] पीछे की ओर। पीछे। |
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उपलब्ध नहीं |
पाछू :
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अव्य०=पीछे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पाछें, पाछे :
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अव्य०=पीछे। |
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