शब्द का अर्थ
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पात्र :
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पुं० [सं०√पा (पीना, रक्षा करना)+ष्ट्रन] [स्त्री० पात्री] [भाव० पात्रता] १. वह आधान जिसमें कुछ रखा जा सके। बरतन। भाजन। २. ऐसा बरतन जिसमें पानी पीया या रखा जाता हो। ३. यज्ञ में काम आनेवाले उपकरण या बरतन। यज्ञ-पात्र। ४. जल का कुंड या तालाब। ५. नदी की चौड़ाई। पाट। ६. ऐसा व्यक्ति जो किसी काम या बात के लिए सब प्रकार से उपयुक्त या योग्य समझा जाता हो। अधिकारी। जैसे—किसी को कुछ देने से पहले यह देख लेना चाहिए कि वह उसे पाने या रखने का पात्र है या नहीं। ७. उपन्यास, कहानी, काव्य, नाटक आदि में वे व्यक्ति जो कथा-वस्तु की घटनाओं के घटक होते हैं और जिनके क्रिया-कलाप या चरित्र से कथा-वस्तु की सृष्टि और परिपाक होता है। ८. नाटक में, वे अभिनेता या नट जो उक्त व्यक्तियों की वेष-भूषा आदि धारण कर के उनके चरित्रों का अभिनय करते हैं। अभिनेता। जैसे—इस नाटक में दस पुरुष और छः स्त्रियाँ पात्र हैं। ९. राज्य का प्रधान मंत्री। १॰. वृक्ष का पत्ता। पत्र। ११. वैद्यक में, चार सेर की एक तौल। आढ़क। १२. आज्ञा। आदेश। वि० [स्त्री० पात्री] जो किसी कार्य या पद के लिए उपयुक्त होने के कारण चुना या नियुक्त किया जा सकता हो। (एलिजिबुल) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पात्रक :
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पुं० [सं० पात्र+कन्] १. प्यारी, हाँड़ी आदि पात्र। २. भिखमंगों का भिक्षापात्र। |
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समानार्थी शब्द-
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पात्रट :
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पुं० [सं० पात्र√अट्+अच्] १. पात्र। प्याला। २. फटा-पुराना कपड़ा। चिथड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पात्रटीर :
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पुं० [सं० पात्र√अट्+ईरन्] १. योग्य मंत्री या सचिव। २. चाँदी। ३. किसी धातु का बना हुआ बरतन। ४. अग्नि। ५. कौआ। ६. कंक (पक्षी)। ७. लोहे में लगनेवाला जंग या मोरचा। ८. नाक से बहनेवाला मल। |
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समानार्थी शब्द-
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पात्रता :
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स्त्री० [सं० पात्र+तल्+टाप्] पात्र (अर्थात् किसी कार्य, पद, दान-दक्षिणा आदि का योग्य अधिकारी) होने की अवस्था, गुण और भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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पात्रत्व :
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पुं० [सं० पात्र+त्व] पात्रता। |
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समानार्थी शब्द-
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पात्र-दुष्ट-रस :
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पुं० [सं० दुष्ट-रस, कर्म० स०, पात्र-दुष्ट-रस, स० त०] कविता में परस्पर विरोधी बातें कहने का एक दोष। (कवि केशवदास) |
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समानार्थी शब्द-
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पात्र-पाल :
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पुं० [सं० पात्र√पाल्+णिच्+अण्] १. तराजू की डंडी। २. पतवार। |
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समानार्थी शब्द-
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पात्रभृत् :
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पुं० [सं० पात्र√भृ (धारण करना)+क्विप्] बरतन माँजने-धोनेवाला नौकर |
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पात्र-वर्ग :
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पुं० [ष० त०] १. किसी साहित्यिक रचना के कुल पात्र। २. अभिनय करनेवालों का समूह। |
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पात्र-शुद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] बरतन माँजने-धोने की क्रिया, भाव और पारिश्रमिक। |
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पात्र-शेष :
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पुं० [स० त०] बरतनों में छोड़ा जानेवाला उच्छिष्ट या जूठा भोजन। जूठन। |
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पात्रासादन :
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पुं० [सं० पात्र-आसादन, ष० त०] यज्ञपात्रों को यथास्थान या यथाक्रम रखना। |
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समानार्थी शब्द-
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पात्रिक :
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वि० [सं० पात्र+ष्ठन्—इक] जो पात्र (आढ़क नामक तौल) से तौला या मापा गया हो। पुं० [स्त्री० अल्पा० पात्रिका] छोटा पात्र या बरतन। |
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पात्रिकी :
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स्त्री० [सं० पात्रिक+ङीष्] १. छोटा पात्र। २. थाली। |
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पात्रिय :
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वि० [सं० पात्र+घ—इय] [पात्र+यत्] जिसका साथ बैठकर एक ही पात्र में भोजन किया जाय या किया जा सके। सहभोजी। |
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पात्री (त्रिन्) :
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वि०, पुं० [सं० पात्र+इनि] १. जिसके पास बरतन हो। पात्रवाला। २. जिसके पास सुयोग्य पात्र या अधिकारी व्यक्ति हो। स्त्री० पात्र का स्त्री रूप। (दे० ‘पात्र’) २. छोटा पात्र या बरतन। ३. एक प्रकार की अँगीठी या छोटी भट्ठी। ४. साहित्यिक रचना का कोई स्त्री पात्र। ५. नाटक आदि में अभिनय करनेवाली स्त्री। अभिनेत्री। |
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पात्रीय :
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वि० [सं० पात्र+छ—ईय] पात्र-संबंधी। पात्र का। पुं० एक प्रकार का यज्ञ-पात्र। |
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पात्रीर :
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पुं० [सं० पात्री√रा (देना)+क] वह पदार्थ जिसकी यज्ञ आदि में आहुति दी जाती हो। |
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पात्रे-बहुल :
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वि० [सं० अलुक् स०] दूसरों का दिया हुआ भोजन करनेवाला। परान्न-भोजी। |
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पात्रे-समिति :
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वि० [सं० अलुक् स०] पात्रेबहुल। (दे०) |
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पात्रोपकरण :
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पुं० [सं० पात्र-उपकरण, ष० त०] अलंकरण के छोटे-मोटे साधन। |
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पात्र्य :
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वि० [सं० पात्र+यत्] जिसके साथ बैठकर एक ही पात्र में भोजन किया जाय या किया जा सके। |
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पात्र :
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पुं० [सं०√पा (पीना, रक्षा करना)+ष्ट्रन] [स्त्री० पात्री] [भाव० पात्रता] १. वह आधान जिसमें कुछ रखा जा सके। बरतन। भाजन। २. ऐसा बरतन जिसमें पानी पीया या रखा जाता हो। ३. यज्ञ में काम आनेवाले उपकरण या बरतन। यज्ञ-पात्र। ४. जल का कुंड या तालाब। ५. नदी की चौड़ाई। पाट। ६. ऐसा व्यक्ति जो किसी काम या बात के लिए सब प्रकार से उपयुक्त या योग्य समझा जाता हो। अधिकारी। जैसे—किसी को कुछ देने से पहले यह देख लेना चाहिए कि वह उसे पाने या रखने का पात्र है या नहीं। ७. उपन्यास, कहानी, काव्य, नाटक आदि में वे व्यक्ति जो कथा-वस्तु की घटनाओं के घटक होते हैं और जिनके क्रिया-कलाप या चरित्र से कथा-वस्तु की सृष्टि और परिपाक होता है। ८. नाटक में, वे अभिनेता या नट जो उक्त व्यक्तियों की वेष-भूषा आदि धारण कर के उनके चरित्रों का अभिनय करते हैं। अभिनेता। जैसे—इस नाटक में दस पुरुष और छः स्त्रियाँ पात्र हैं। ९. राज्य का प्रधान मंत्री। १॰. वृक्ष का पत्ता। पत्र। ११. वैद्यक में, चार सेर की एक तौल। आढ़क। १२. आज्ञा। आदेश। वि० [स्त्री० पात्री] जो किसी कार्य या पद के लिए उपयुक्त होने के कारण चुना या नियुक्त किया जा सकता हो। (एलिजिबुल) |
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पात्रक :
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पुं० [सं० पात्र+कन्] १. प्यारी, हाँड़ी आदि पात्र। २. भिखमंगों का भिक्षापात्र। |
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पात्रट :
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पुं० [सं० पात्र√अट्+अच्] १. पात्र। प्याला। २. फटा-पुराना कपड़ा। चिथड़ा। |
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उपलब्ध नहीं |
पात्रटीर :
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पुं० [सं० पात्र√अट्+ईरन्] १. योग्य मंत्री या सचिव। २. चाँदी। ३. किसी धातु का बना हुआ बरतन। ४. अग्नि। ५. कौआ। ६. कंक (पक्षी)। ७. लोहे में लगनेवाला जंग या मोरचा। ८. नाक से बहनेवाला मल। |
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उपलब्ध नहीं |
पात्रता :
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स्त्री० [सं० पात्र+तल्+टाप्] पात्र (अर्थात् किसी कार्य, पद, दान-दक्षिणा आदि का योग्य अधिकारी) होने की अवस्था, गुण और भाव। |
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पात्रत्व :
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पुं० [सं० पात्र+त्व] पात्रता। |
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पात्र-दुष्ट-रस :
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पुं० [सं० दुष्ट-रस, कर्म० स०, पात्र-दुष्ट-रस, स० त०] कविता में परस्पर विरोधी बातें कहने का एक दोष। (कवि केशवदास) |
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पात्र-पाल :
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पुं० [सं० पात्र√पाल्+णिच्+अण्] १. तराजू की डंडी। २. पतवार। |
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पात्रभृत् :
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पुं० [सं० पात्र√भृ (धारण करना)+क्विप्] बरतन माँजने-धोनेवाला नौकर |
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पात्र-वर्ग :
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पुं० [ष० त०] १. किसी साहित्यिक रचना के कुल पात्र। २. अभिनय करनेवालों का समूह। |
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पात्र-शुद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] बरतन माँजने-धोने की क्रिया, भाव और पारिश्रमिक। |
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पात्र-शेष :
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पुं० [स० त०] बरतनों में छोड़ा जानेवाला उच्छिष्ट या जूठा भोजन। जूठन। |
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पात्रासादन :
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पुं० [सं० पात्र-आसादन, ष० त०] यज्ञपात्रों को यथास्थान या यथाक्रम रखना। |
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पात्रिक :
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वि० [सं० पात्र+ष्ठन्—इक] जो पात्र (आढ़क नामक तौल) से तौला या मापा गया हो। पुं० [स्त्री० अल्पा० पात्रिका] छोटा पात्र या बरतन। |
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पात्रिकी :
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स्त्री० [सं० पात्रिक+ङीष्] १. छोटा पात्र। २. थाली। |
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पात्रिय :
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वि० [सं० पात्र+घ—इय] [पात्र+यत्] जिसका साथ बैठकर एक ही पात्र में भोजन किया जाय या किया जा सके। सहभोजी। |
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पात्री (त्रिन्) :
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वि०, पुं० [सं० पात्र+इनि] १. जिसके पास बरतन हो। पात्रवाला। २. जिसके पास सुयोग्य पात्र या अधिकारी व्यक्ति हो। स्त्री० पात्र का स्त्री रूप। (दे० ‘पात्र’) २. छोटा पात्र या बरतन। ३. एक प्रकार की अँगीठी या छोटी भट्ठी। ४. साहित्यिक रचना का कोई स्त्री पात्र। ५. नाटक आदि में अभिनय करनेवाली स्त्री। अभिनेत्री। |
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उपलब्ध नहीं |
पात्रीय :
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वि० [सं० पात्र+छ—ईय] पात्र-संबंधी। पात्र का। पुं० एक प्रकार का यज्ञ-पात्र। |
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उपलब्ध नहीं |
पात्रीर :
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पुं० [सं० पात्री√रा (देना)+क] वह पदार्थ जिसकी यज्ञ आदि में आहुति दी जाती हो। |
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उपलब्ध नहीं |
पात्रे-बहुल :
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वि० [सं० अलुक् स०] दूसरों का दिया हुआ भोजन करनेवाला। परान्न-भोजी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पात्रे-समिति :
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वि० [सं० अलुक् स०] पात्रेबहुल। (दे०) |
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पात्रोपकरण :
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पुं० [सं० पात्र-उपकरण, ष० त०] अलंकरण के छोटे-मोटे साधन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पात्र्य :
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वि० [सं० पात्र+यत्] जिसके साथ बैठकर एक ही पात्र में भोजन किया जाय या किया जा सके। |
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