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			| शब्द का अर्थ |  
				| पात्र-दुष्ट-रस					 : | पुं० [सं० दुष्ट-रस, कर्म० स०, पात्र-दुष्ट-रस, स० त०] कविता में परस्पर विरोधी बातें कहने का एक दोष। (कवि केशवदास) |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| पात्र-दुष्ट-रस					 : | पुं० [सं० दुष्ट-रस, कर्म० स०, पात्र-दुष्ट-रस, स० त०] कविता में परस्पर विरोधी बातें कहने का एक दोष। (कवि केशवदास) |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |