| शब्द का अर्थ | 
					
				| पाथी (थिस्)					 : | पुं० [सं०√पा (पीना)+इसिन्, थुक्] १. समुद्र। २. आँख। ३. घाव पर का खुरंड या पपड़ी। ४. दूध, मट्ठे का वह मिश्रण जिससे प्राचीन काल में पितृ-तर्पण किया जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाथी					 : | पुं० [हिं० पथ] पथिक। बटोही। मुहा०—पाथी होना=कहीं से चुपचार चल देना। चलते बनना। उदा०—साथी पाथी भये जाग अजहूँ निसि बीती।—दीन दयाल गिरि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाथी (थिस्)					 : | पुं० [सं०√पा (पीना)+इसिन्, थुक्] १. समुद्र। २. आँख। ३. घाव पर का खुरंड या पपड़ी। ४. दूध, मट्ठे का वह मिश्रण जिससे प्राचीन काल में पितृ-तर्पण किया जाता था। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाथी					 : | पुं० [हिं० पथ] पथिक। बटोही। मुहा०—पाथी होना=कहीं से चुपचार चल देना। चलते बनना। उदा०—साथी पाथी भये जाग अजहूँ निसि बीती।—दीन दयाल गिरि। | 
			
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