| शब्द का अर्थ | 
					
				| पाली (लिन्)					 : | वि० [सं०√पाल्+णिनि] [स्त्री० पालिनी] १. पालन या पोषण करनेवाला। २. रक्षा करनेवाला। रक्षक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाली					 : | स्त्री० [?] १. देग। बटलोई। २. बरतन का ढक्कन। ३. ऊपरी तल या पार्श्व। जैसे—कपोलपाली=गाल का ऊपरी तल। ४. प्राचीन भारत की एक प्रसिद्ध भाषा जो गौतम बुद्ध के समय सारे भारत के सिवा वाह्लीक, बरमा, श्याम, सिंहल आदि देशों में बोली और समझी जाती थी। विशेष—गौतम बुद्ध ने इसी भाषा में धर्मोपदेश किया था, और बौद्ध धर्म के सभी प्रमुख तथा प्राचीन ग्रंथ इसी भाषा में हैं। विद्वानों का मत है कि यह मुख्यतः और मूलतः भारत के मूल देश की भाषा थी जिसमें मगधी का भी कुछ अंश सम्मिलित था; इस भाषा का साहित्य बहुत विशाल है। ५. पंक्ति। श्रेणी। ६. तीतर, बटेर, बुलबुल आदि का वह वर्ग जो प्रायः प्रतियोगिता के रूप में लड़ाया जाता है। ७. वह स्थान जहाँ उक्त प्रकार के पक्षी उड़ाये जाते हैं। ८. आज-कल कारखानों आदि में, श्रमिकों के उन अलग-अलग दलों के काम करने का समय जो पारी पारी से आता है। (शिफ्ट) ९. आज-कल गेंद-बल्ले, चौगान आदि खेलों में खिलाड़ियों के प्रतियोगी दलों को खेलने के लिए होनेवाली पारी। (इनिंग) वि०=पैदल। उदा०—धणपाली, पिव पाखरयो, विहूँ भला भड़ जुध्ध।—ढोलामारू। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)पुं० [?] चरवाहा। (राज०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पालीवत					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पालीवाल					 : | पुं० [?] गौड़ ब्राह्मणों के एक वर्ग की उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पालीशोष					 : | पुं० [सं०] कान का एक रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाली (लिन्)					 : | वि० [सं०√पाल्+णिनि] [स्त्री० पालिनी] १. पालन या पोषण करनेवाला। २. रक्षा करनेवाला। रक्षक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाली					 : | स्त्री० [?] १. देग। बटलोई। २. बरतन का ढक्कन। ३. ऊपरी तल या पार्श्व। जैसे—कपोलपाली=गाल का ऊपरी तल। ४. प्राचीन भारत की एक प्रसिद्ध भाषा जो गौतम बुद्ध के समय सारे भारत के सिवा वाह्लीक, बरमा, श्याम, सिंहल आदि देशों में बोली और समझी जाती थी। विशेष—गौतम बुद्ध ने इसी भाषा में धर्मोपदेश किया था, और बौद्ध धर्म के सभी प्रमुख तथा प्राचीन ग्रंथ इसी भाषा में हैं। विद्वानों का मत है कि यह मुख्यतः और मूलतः भारत के मूल देश की भाषा थी जिसमें मगधी का भी कुछ अंश सम्मिलित था; इस भाषा का साहित्य बहुत विशाल है। ५. पंक्ति। श्रेणी। ६. तीतर, बटेर, बुलबुल आदि का वह वर्ग जो प्रायः प्रतियोगिता के रूप में लड़ाया जाता है। ७. वह स्थान जहाँ उक्त प्रकार के पक्षी उड़ाये जाते हैं। ८. आज-कल कारखानों आदि में, श्रमिकों के उन अलग-अलग दलों के काम करने का समय जो पारी पारी से आता है। (शिफ्ट) ९. आज-कल गेंद-बल्ले, चौगान आदि खेलों में खिलाड़ियों के प्रतियोगी दलों को खेलने के लिए होनेवाली पारी। (इनिंग) वि०=पैदल। उदा०—धणपाली, पिव पाखरयो, विहूँ भला भड़ जुध्ध।—ढोलामारू। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)पुं० [?] चरवाहा। (राज०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पालीवत					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पालीवाल					 : | पुं० [?] गौड़ ब्राह्मणों के एक वर्ग की उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पालीशोष					 : | पुं० [सं०] कान का एक रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |