| शब्द का अर्थ | 
					
				| पुष्कल					 : | पुं० [सं०√पुष्+कलच्, कित्व] १. वह भिक्षा जो केवल चार गाँवों से लाई जाती थी। २. अनाज नापने का एक प्राचीन मान, जो ६४ मुट्ठियों के बराबर होता था। ३. शिव। ४. वरुण के एक पुत्र। ५. राम के भाई भरत का एक पुत्र। ६. एक बुद्ध का नाम। ७. एक प्रकार का ढोल। ८. एक प्रकार की वीणा। वि० १. बहुत। अधिक। ढेर-सा। प्रचुर। २. भरा-पूरा परिपूर्ण। ३. श्रेष्ठ। ४. उपस्थित। प्रस्तुत। ५. पवित्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुष्कलक					 : | पुं० [सं० पुष्कल+कन्] १. कस्तूरी-मृग। २. अर्गला। सिटकनी। ३. कील। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुष्कलावती					 : | स्त्री० [सं० पुष्कल+मतुप्, वत्व, दीर्घ] पुराणानुसार भरत के पुत्र पुष्कल की बसाई हुई गांधार देश की प्राचीन नगरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुष्कल					 : | पुं० [सं०√पुष्+कलच्, कित्व] १. वह भिक्षा जो केवल चार गाँवों से लाई जाती थी। २. अनाज नापने का एक प्राचीन मान, जो ६४ मुट्ठियों के बराबर होता था। ३. शिव। ४. वरुण के एक पुत्र। ५. राम के भाई भरत का एक पुत्र। ६. एक बुद्ध का नाम। ७. एक प्रकार का ढोल। ८. एक प्रकार की वीणा। वि० १. बहुत। अधिक। ढेर-सा। प्रचुर। २. भरा-पूरा परिपूर्ण। ३. श्रेष्ठ। ४. उपस्थित। प्रस्तुत। ५. पवित्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुष्कलक					 : | पुं० [सं० पुष्कल+कन्] १. कस्तूरी-मृग। २. अर्गला। सिटकनी। ३. कील। | 
			
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				| पुष्कलावती					 : | स्त्री० [सं० पुष्कल+मतुप्, वत्व, दीर्घ] पुराणानुसार भरत के पुत्र पुष्कल की बसाई हुई गांधार देश की प्राचीन नगरी। | 
			
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