शब्द का अर्थ
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प्राक् :
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अव्य० [सं० प्र√अञ्च् (गति)+क्विप] १. सम्मुख। सामने। २. आगे। पहले ३. पिछले प्रकरण या भाग में। वि० पुराना। पुं० पूर्व दिशा। पूरब। |
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प्राक्कथन :
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पुं० [सं० कर्म० स०] १. पहले कही हुई बात। २. पुस्तक के विषय आदि के संबंध में पहले कही जानेवाली बात। प्रस्तावना। |
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प्राक्कर्म (र्मन) :
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पुं० [सं० कर्म० स०] १. आरंभ में या पहले किया जानेवाला काम। २. पूर्व जन्म के किये हुए कर्म। ३. अदृष्ट। भाग्य। |
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प्राक्कलन :
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पुं० [सं० कर्म० स०] अनुमान, कल्पना या संभावना के आधार पर पहले से किया जानेवाला आकलन या गणना। कृत। तखमीना। (एस्टिमेशन) |
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प्राक्कल्प :
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पुं०=पुराकल्प। |
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प्राक्चरण :
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पुं० [सं० ब० स०] योनि। भग। |
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प्राक्छाय :
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पुं० [सं० ब० स०] वह समय जब छाया पूर्व की ओर पड़ती हो। अर्थात् अपराह्नकाल तीसरा प्रहर। |
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प्राक्तन :
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वि० [सं० प्राच्+ट्यु—अन, तुट्] १. पहले का। २. पूर्व जन्म का। ३. पुराना। प्राचीन। पुं० भाग्य। प्रारब्ध। |
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प्राक्फाल्गुन :
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पुं० [सं० प्राक्फाल्गुनी+अण्] बृहस्पति ग्रह। |
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प्राक्फाल्गुनी :
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स्त्री०=पूर्वा फाल्गुनी। |
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प्राक्संध्या :
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स्त्री० [सं० कर्म० स०] सूर्योदय के समय की संध्या अर्थात् सबेरा। |
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