| शब्द का अर्थ | 
					
				| बलक					 : | पुं० [सं०] स्वप्न, विशेषतः आधी रात के बाद आनेवाला स्वप्न। पुं० [हिं० बलकना] बलकने की अवस्था, क्रिया या भाव। वि० दे० ‘बलकना’। | 
			
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				| बलकना					 : | अ० [अनु०] १. उबलना। उफान आना। खौलना। २. आवेश या उमंग में आना। ३. उभड़ना। | 
			
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				| बलकर					 : | वि० [सं० ष० त०] [स्त्री० बलकारी] १. बल देनेवाला। २. बल बढ़ानेवाला। पुं० अस्थि। हड्डी। | 
			
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				| बलकल					 : | पुं०=वल्कल (छाल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बलकाना					 : | स० [हिं० बलकना] १. उबालना। खौलाना। २. उत्तेजित करना। उभाड़ना। ३. उमंग में लाना। उदा०—जोवन ज्वर केहि नहिं बलकावा।—तुलसी। | 
			
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				| बलकुआ					 : | पुं० [देश०] एक तरह का बाँस। | 
			
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				| बलक्ष					 : | वि० [सं०√बल्+क्विप्, बल्√अक्ष्+घञ्] श्वेत। सफेद। पुं० सफेद रंग। | 
			
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