| शब्द का अर्थ | 
					
				| बिख					 : | पुं० [सं० विष] जहर। मुहावरा—बिख बोना=बहुत बड़े अनर्त का सूत्रपात करना। बिख बोलना=बहुत ही कटु और लगती हुई बात कहना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखम					 : | वि० [सं० विष] विष। जहर। गरल। वि०=विषम। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखय					 : | पुं०=विषय। अव्य०=विषय में। सम्बन्ध में। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखयी					 : | वि०=विषयी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखरना					 : | अ० [सं० विकीर्ण] १. किसी चीज के कणों, रेशों, इकाइयों आदि का अधिक क्षेत्र में फैल जाना। संयो० क्रि०=जाना। २. एक साथ साथ-साथ या संयुक्त न होना। अलग-अलग या दूर-दूर होना। जैसे—परिवार के सदस्यों का बिखरना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखराना					 : | स०=बिखेरना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखराव					 : | पुं० [हिं० बिखरना] १. बिखरे हुए होने की अवस्था या भाव। २. आपस में होनेवाली फूट। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखाद					 : | पुं०=विषाद। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखान					 : | पुं० [सं० विषाण] १. पशुओं के सींग। २. सिंगी नाम का बाजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखिया					 : | स्त्री०=विषय-वासना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखे					 : | अव्य०, पुं०=विषय। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखेरना					 : | स० [हिं० बिखरना का० स०] १. कणों, रेशों आदि के रूप में होनेवाली वस्तु के कणों को अधिक विस्तृत क्षेत्र में यो ही अथवा किसी विशेष ढंग से गिराना या फेंकना। जैसे—खेत में बीज बिखेरना। २. वस्तुओं को बिना किसी सिलसिले के फैलाकर रखना। जैसे—पुस्तकें बिखरेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखै					 : | अव्य० [सं० विषय] किसी विषय में। संबंध में। उदाहरण—जगत् बिखै कोई काम न सरही।—गुरु गोविन्दसिंह। पुं० १.=विषय। २.=विषय-वासना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| बिखोंड़ा					 : | पुं० [हिं० विख=विष] ज्वार की जाति का एक प्रकार की बड़ी घास जो बारहों महीने हरी रहती है। काला मुच्छ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |