शब्द का अर्थ
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महँ :
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अव्य० [सं० मध्य] में। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
महँई :
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वि० [सं० महान] बड़ा। महान्। अव्य०=महँ (में)। |
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महँक :
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स्त्री०=महक। |
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समानार्थी शब्द-
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महँकना :
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अ०=महकना। |
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महँगा :
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वि० [सं० महार्घ] [स्त्री० भाव० महँगी] १. जिसका मूल्य उचित या साधारण से अधिक हो। महुमूल्य। २. जिसका मूल्य पहले की अपेक्षा अधिक हो। अपेक्षाकृत अधिक दामवाला। ३. जिसे प्राप्त करने के लिए आवश्यकता से अधिक व्यय करना, कष्ट उठाना या बदनामी या हानि सहनी पड़ी हो। जैसे—यह मंत्रित्व आपको बहुत महँगा पड़ा है। |
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समानार्थी शब्द-
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महँगाई :
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स्त्री० [हिं० महँगा] १. महँगी के कारण नौकरों को वेतन के अतिरिक्त दिया जानेवाला मासिक धन या भत्ता (डियरनेस एलाउन्स) २. दे० ‘महँगी’। |
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महँगी :
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स्त्री० [हिं० महँगा] १. महँगे होने की अवस्था या भाव। २. ऐसा समय जिसमें चीजों का भाव अधिक बढ़ गया हो। पहले की अपेक्षा अधिक मूल्य पर वस्तुएं बिकने की स्थित। ३. अकाल। दुर्भिक्ष। क्रि० प्र०—पड़ना। |
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महँड़ा :
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पुं० [देश] भुना हुआ चना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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महंत :
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पुं० [सं० महत्=बड़ा] [भाव० मंहती] वह संन्यासी (या साधु) जो अपने समाज अथवा किसी मठ का प्रधान हो वि० =महत् (बहुत बड़ा)। |
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महंताई :
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स्त्री०=महंती। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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महंति :
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वि० =महत् (बहुत बड़ा) उदाहरण—मनसि विचारि एक ही महंति।—प्रिथीराज। |
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महंती :
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स्त्री० [हि० महंत+ई (प्रत्यय)] महंत का काम, पद या भाव। उदाहरण—भारी विपति महंती आई, लगन राम सों छूटी। |
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महँदी :
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स्त्री०=मेंहदी। |
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