| शब्द का अर्थ | 
					
				| शल्य					 : | पुं० [सं०√शल्+यत्] १. मद्र देश के एक रजा का नाम जो द्रौपदी के स्वयंबर के समय भीमसेन के साथ मल्लयुद्ध में हार गये थे। २. एक प्रकार का तीर। ३. फोड़ों आदि को चीर-फाड़ के द्वारा की जानेवाली चिकित्सा। ४. हड्डी। ५. आँख में सुरमा लगाने की सलाई। ६. छप्पय के ५६वें भेद का नाम। इसमें १५ गुरु १२२ लघु कुल १३७ वर्ण या १५२ मात्राएँ होती हैं। ७.मैनफल। ८.सफेद खैर। ९.शिंलिग मछली। १॰.लोध। 1१. बेल का पेड़। १२. साही नामक जन्तु। १३. सांग। बरछी। १४. दुर्वचन। १५. पाप। १६. वे पदार्थ जिनसे शरीर में किसी प्रकार की पीड़ा या रोग आदि उत्पन्न होता है। | 
			
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				| शल्यकंठ					 : | पुं० [सं० ब० स०] साही जंतु। | 
			
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				| शल्यक					 : | पुं० [सं०शल्य√कै+क] १. साही नामक जन्तु। २. मैनफल। ३. खादिर। खैर। ४. बेल का पेड़ या फल। ५. लोध। ६. एक प्रकार की मछली। वि० १. शल्य संबंधी। २. शल्य चिकित्सा या शल्य कर्म से संबंध रखनेवाला (सर्जिकल)। | 
			
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				| शल्य-कर्त्तन					 : | पुं० [सं० ब० स०] रामायण के अनुसार एक प्राचीन जनपद। | 
			
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				| शल्य-कर्त्ता					 : | पुं० [सं०√शल्य√कृ+तृच्] शल्यकार। | 
			
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				| शल्यकार					 : | पुं० [सं० शल्य√कृ+अण्] वह जो शल्य चिकित्सा का अच्छा ज्ञाता हो, या शल्य चिकित्सा करता हो (सर्जन)। | 
			
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				| शल्यकारी					 : | स्त्री० [सं०] शल्य अर्थात् चीर-फाड़ करके चिकित्सा करने की क्रिया। (सर्जरी) | 
			
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				| शल्यकी					 : | स्त्री० [सं० शल्यक—ङीष्] साही। | 
			
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				| शल्य-क्रिया					 : | स्त्री० [सं० ष० त० स०] शारीरिक विकार को दूर करने के लिए की जाने वाली चीर-फाड़। (सर्जरी) | 
			
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				| शल्य-चिकित्सक					 : | पुं० [सं०]=शल्यकार। | 
			
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				| शल्य-चिकित्सा					 : | स्त्री० [सं०]=शल्यकारी। | 
			
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				| शल्यज नाड़ी व्रण					 : | पुं० [सं० नारी-व्रण, ष० त० स० शल्यज—नाड़ी व्रण कर्म० स०] नाड़ी में होनेवाला एक प्रकार का व्रण या घाव जो नाड़ी में कंकड़ी या काँटा पहुँच जाने पर होता है। | 
			
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				| शल्य-तंत्र					 : | पुं० [सं० मध्यम० स०] वह विद्या जिसमें शल्य-चिकित्सा के सब अंगों का विवेचन हो। | 
			
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				| शल्य-लोम (मन्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] साही। | 
			
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				| शल्य-शालक					 : | पुं० [सं० ष० त० स०]=शल्यकारी। | 
			
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				| शल्य-शास्त्र					 : | पुं० [सं० ष० त०] चिकित्सा शास्त्र का वह अंग जिसमें शरीर में गड़े हुए काँटों आदि के निकालने का विधान रहता है। (सर्जरी) | 
			
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				| शल्या					 : | स्त्री० [सं० शल्य-टाप्] १. मेदा नाम की ओषधि। २. नाग वल्ली। ३. विकंकत। | 
			
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				| शल्यारि					 : | पुं० [सं० ष० त० स०] युधिष्ठिर। | 
			
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				| शल्योद्धार					 : | पुं० [सं० ष० त० स०] शरीर में गड़े हुए काँटे, तीर आदि को निकालने का कार्य। | 
			
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				| शल्योपचार					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] चिकित्सा क्षेत्र में शल्य के द्वारा किया जानेवाला उपचार। चीर-फाड़। (ऑपरेशन) | 
			
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				| शल्योपचारक					 : | पुं०=शल्योपचारी। | 
			
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				| शल्योपचारिक					 : | वि० [सं० ष० त०] शल्योपचार संबंधी। | 
			
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				| शल्योपचारी					 : | वि० [सं० शल्योपचार+इनि] वह जो शल्योपचार द्वारा चिकित्सा करता हो (सर्जिकल आपरेटर)। | 
			
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