शब्द का अर्थ
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सुप्त :
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वि० [सं०] [भाव० सुप्ति] १. सोया हुआ। निद्रित। शयित। 2. सोने के उद्देश्य से लेटा हुआ। 3. (पदार्थ का गुण, प्रभाव या बल) जो अन्दर वर्तमान होने पर भी कुछ कारणों से दबा हुआ हो औऱ सक्रिय न हो। प्रसुप्त (डॉर्मेन्ट) ४. ठिठुरा या सिकुड़ा हुआ। ५. जो खिला या खुला न हो। मूँदा हुआ। ६. जो अभी कांम में न आ रहा हो या आ सकता हो। बेकार। ७. सुस्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुप्तक :
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पुं० [सं०] निद्रा। नींद। |
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सुप्तध्न :
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वि० [सं०] १. सोये हुए प्राणी पर आघात या वार करनेवाला। २. हिंसक। |
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सुप्तज्ञान :
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पुं० [सं०] स्वप्न। |
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सुप्तता :
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स्त्री० [सं०] सुप्त होने की अवस्था या भाव। |
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सुप्त-प्रलपित :
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पुं० [सं०] निद्रित अवस्था में होनेवाला प्रलाप। सोये-सोये बकना। |
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सुप्तमाली :
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पुं० [सं० सुप्तमालिन्] पुराणानुसार तेइसवें कल्प का नाम। |
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सुप्त-वाक्य :
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पुं० [सं०] निद्रित अवस्था में कहे हुए वाक्य या बातें। |
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सुप्त-विज्ञान :
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पुं० [सं०] स्वप्न। सपना। |
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सुप्तस्थ :
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वि० [सं०] सोया हुआ। निद्रित। |
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सुप्तांग :
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पुं० [सं०] वह अंग जिसमें चेतना या चेष्टा न रह गई हो। निष्चेष्ट अंग। |
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सुप्तांगता :
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स्त्री० [सं०] सुप्तांग होने की अवस्था या भाव अंगों की निश्चेष्टता। |
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सुप्ति :
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स्त्री [सं०] १. सोये हुए होने की अवस्था या भाव। निद्रा। नींद। २. उँघाई। निदाँस। ३. प्रत्यय। विश्वास। ४. सुप्तांगता। |
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सुप्तोत्थित :
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वि० [सं०] जो अभी सोकर उठा हो। नींद से जागा हुआ। |
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