| शब्द का अर्थ | 
					
				| आकृत					 : | भू० कृ० [सं० आ√कू (करना)+क्तिन्] १. जिसे कोई (आकार या रूप) दी गई हो या मिली हो। बना हुआ। २. क्रम से लगा या लगाया हुआ। व्यवस्थित। | 
			
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				| आकृति					 : | स्त्री० [सं० आ√कृ+क्तिन्] १. किसी वस्तु व्यक्ति या ढाँचे का निश्चित, स्पष्ट तथा स्थिर रूप जिससे उसकी पहचान होती है। २. उक्त के अनुसार किसी वस्तु या व्यक्ति का अंकित या चित्रित किया हुआ रूप। ३. ज्यामिति में केवल रेखाओं की सहायता से क्षेत्रों आदि के बनाये जानेवाले रूप। (फिगर उक्त सभी अर्थों मे) ४. भाव-भंगी प्रकट करनेवाली मुद्रा। ५. सवैया नामक छंद का एक प्रकार जिसमें मद्रक मंदारमाला मदिरा हंसी आदि कई भेद है। | 
			
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				| आकृति-विज्ञान					 : | पुं० [ष० त०] मनुष्य की आकृति (उसके अंगों की गठन तथा मुद्रा) के आधार पर उसकी प्रवृत्ति, स्वभाव, गुण-दोष आदि बतलाने की विद्या। (फिसियोग्नाँमी) | 
			
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