| शब्द का अर्थ | 
					
				| आशु					 : | पुं० [सं०√अश् (व्याप्ति)+उण्] १. सावन-भादों में होनेवाला एक प्रकार का धान। आउस। पाटल। साठी। २. घोड़ा। अव्य० जल्दी। शीघ्र। | 
			
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				| आशु-कवि					 : | पुं० [मध्य० स०] तुरंत कविता बनाने में समर्थ कवि। वह कवि जो किसी दिए हुए विषय पर अथवा किसी विशेष स्थिति में तत्काल कविता की रचना करता हो। | 
			
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				| आशुग					 : | वि० [सं० आशु√गम् (जाना)+ड] १. बहुत तेज चलनेवाला। शीघ्रगामी। २. (पत्र, तार आदि) जो पानेवाले के पास बहुत जल्दी पहुँचाया जाने को हो। (एक्सप्रेस) पुं० वायु। हवा। २. तीर। वाण। | 
			
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				| आशुगामी (मिन्)					 : | वि० [सं० आशु√गम्+णिनि] तेज चलनेवाला। पुं० सूर्य। | 
			
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				| आशु-तोष					 : | वि० [ब० स०] बहुत जल्दी या सहज में प्रसन्न हो जानेवाला। पुं० शिव। | 
			
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				| आशु-पत्र					 : | पुं० [मध्य० स०] वह पत्र जो भेजे जानेवाले (प्रेषिती) को बहुत जल्दी पहुँचाया जाय। (एक्सप्रेस लेटर) | 
			
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