| शब्द का अर्थ | 
					
				| उखा					 : | उषा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़					 : | स्त्री० [हिं० उखाड़ना] १. उखाड़ने की क्रिया या भाव। २. कुश्ती में, किसी का दाव या पेंच व्यर्थ करनेवाला कोई और दाँव या पेंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़ना					 : | स० [सं० उत्खनन, प्रा० उक्खणन] १. ऐसी चीज खींच या निकाल कर अलग करना जिसकी जड़ या नीचे का भाग जमीन के अंदर गड़ा, जमा या धंसा हो। जैसे—पेड़-पौधे या कील-काँटे उखाड़ना। २. कहीं जमी, ठहरी या लगी हुई चीज खींचकर उसके आधार तल से अलग करना। जैसे—पुस्तक की जिल्द उखाड़ना। अंग के जोड़ पर से किसी की हड्डी उखाड़ना आदि। ३. किसी स्थान पर टिके या ठहरे हुए व्यक्ति को वहाँ से भगाने या हटने के लिए विवश करना। जैसे—दुश्मन के पाँव या पैर उखाड़ना, दरबार में से किसी दरबारी या मुसाहब को उखाड़ना। मुहावरा—(किसी को) जड़ से उखाड़ना=इस प्रकार दूर या नष्ट करना कि फिर अपने स्थान पर आकर ठहर या पनप न सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़-पछाड़					 : | स्त्री० [हिं० उखाड़ना+पछाड़ना] १. कहीं किसी को उखाड़ने और कही किसी को पछाड़ने की क्रिया या भाव। २. कभी कहीं से कुछ इधर का उधर और कभी कहीं से उधर से इधर (अर्थात् अस्तव्यस्त या उलट-पुलट) करने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़ू					 : | वि० [हिं० उखाड़ना] प्रायः उखाड़ने का काम करता रहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाणा					 : | पुं० [सं० उपाख्यान] कहावत। (राज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखारना					 : | स० =उखाड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखारी					 : | स्त्री० [हिं० ऊख] वह खेत जिसमें ऊख बोया गया हो। उदाहरण—बीच उखारा रम-सरा,रस काहे ना होत।—कबीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखालिया					 : | पुं० [सं० उष+काल] व्रत आरंभ करने से पहले रात के पिछले पहर में किया जानेवाला अल्पाहार। सरगही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखा					 : | उषा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़					 : | स्त्री० [हिं० उखाड़ना] १. उखाड़ने की क्रिया या भाव। २. कुश्ती में, किसी का दाव या पेंच व्यर्थ करनेवाला कोई और दाँव या पेंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़ना					 : | स० [सं० उत्खनन, प्रा० उक्खणन] १. ऐसी चीज खींच या निकाल कर अलग करना जिसकी जड़ या नीचे का भाग जमीन के अंदर गड़ा, जमा या धंसा हो। जैसे—पेड़-पौधे या कील-काँटे उखाड़ना। २. कहीं जमी, ठहरी या लगी हुई चीज खींचकर उसके आधार तल से अलग करना। जैसे—पुस्तक की जिल्द उखाड़ना। अंग के जोड़ पर से किसी की हड्डी उखाड़ना आदि। ३. किसी स्थान पर टिके या ठहरे हुए व्यक्ति को वहाँ से भगाने या हटने के लिए विवश करना। जैसे—दुश्मन के पाँव या पैर उखाड़ना, दरबार में से किसी दरबारी या मुसाहब को उखाड़ना। मुहावरा—(किसी को) जड़ से उखाड़ना=इस प्रकार दूर या नष्ट करना कि फिर अपने स्थान पर आकर ठहर या पनप न सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़-पछाड़					 : | स्त्री० [हिं० उखाड़ना+पछाड़ना] १. कहीं किसी को उखाड़ने और कही किसी को पछाड़ने की क्रिया या भाव। २. कभी कहीं से कुछ इधर का उधर और कभी कहीं से उधर से इधर (अर्थात् अस्तव्यस्त या उलट-पुलट) करने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाड़ू					 : | वि० [हिं० उखाड़ना] प्रायः उखाड़ने का काम करता रहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखाणा					 : | पुं० [सं० उपाख्यान] कहावत। (राज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखारना					 : | स० =उखाड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखारी					 : | स्त्री० [हिं० ऊख] वह खेत जिसमें ऊख बोया गया हो। उदाहरण—बीच उखारा रम-सरा,रस काहे ना होत।—कबीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उखालिया					 : | पुं० [सं० उष+काल] व्रत आरंभ करने से पहले रात के पिछले पहर में किया जानेवाला अल्पाहार। सरगही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |