| शब्द का अर्थ | 
					
				| उघटा-पुराण					 : | पुं० [हिं० उघटा+सं० पुराण] आपस में एक दोनों के पुराने दोषों और अपने किए हुए पुराने उपकारों का बार-बार अथवा विस्तारपूर्वक किया जाने वाला उल्लेख या कथन। (दूसरे को ताना देते हुए नीचा दिखाने के लिए)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उघटा-पुराण					 : | पुं० [हिं० उघटा+सं० पुराण] आपस में एक दोनों के पुराने दोषों और अपने किए हुए पुराने उपकारों का बार-बार अथवा विस्तारपूर्वक किया जाने वाला उल्लेख या कथन। (दूसरे को ताना देते हुए नीचा दिखाने के लिए)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |