| शब्द का अर्थ | 
					
				| उच्छल					 : | वि० [सं० उद्√शल् (गति)+अच्] १. ऊपर की ओर उछलने या उड़नेवाला। उदाहरण—ज्वार मग्न कर उच्चल प्राणों के प्रवाह को आवर्तों के गंड शून्य इसमें क्या संशय।—सुमित्रानंदन पंत। २. लहराता या हिलता हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छलन					 : | पुं० [सं० उद्√शल्+ल्युट्-अन] [भू० कृ० उच्छलित] उछलना। तंरगित होना। पुं० [सं० ] [वि० उच्छलित्] जोर से ऊपर की ओर उठने अथवा उछलने की क्रिया या भाव। उछाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छलना					 : | अ० =उछलना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छलिध्र					 : | पुं० =उच्छिलीध्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छल					 : | वि० [सं० उद्√शल् (गति)+अच्] १. ऊपर की ओर उछलने या उड़नेवाला। उदाहरण—ज्वार मग्न कर उच्चल प्राणों के प्रवाह को आवर्तों के गंड शून्य इसमें क्या संशय।—सुमित्रानंदन पंत। २. लहराता या हिलता हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छलन					 : | पुं० [सं० उद्√शल्+ल्युट्-अन] [भू० कृ० उच्छलित] उछलना। तंरगित होना। पुं० [सं० ] [वि० उच्छलित्] जोर से ऊपर की ओर उठने अथवा उछलने की क्रिया या भाव। उछाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छलना					 : | अ० =उछलना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उच्छलिध्र					 : | पुं० =उच्छिलीध्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |