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			| शब्द का अर्थ |  
				| उठान					 : | स्त्री० [सं० उत्थान, पा० उट्ठान] १. उठने की क्रिय, ढंग या भाव। २. किसी काम या बात के आरंभ या शुरू होने की अवस्था या भाव। जैसे—इस कविता (या गीत) की उठान तो बहुत सुंदर है। ३. शारीरिक दृष्टि से वह अवस्था या स्थिति जो विकास या वृद्धि की ओर उन्मुख हो। जैसे—इस पेड़ (या लड़के) की उठान अच्छी है। ४. खपत। खर्च। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| उठाना					 : | स० [हिं० उठना का स० रूप] १. किसी को उठने में प्रवृत्त करना। ऐसा काम करना जिससे कुछ या कोई उठे। २. नीचे के तल या स्तर से ऊपर के तल या स्तर की ओर ले जाना। ऊँचाई की ओर बढ़ाना या ले जाना। ऊपर करना। जैसे—(क) मत देने के लिए हाथ उठाना, (ख) कुछ देखने के लिए आँखें (या सिर) उठाना। ३. पड़े, बैठे, लेटे या सोये हुए व्यक्ति को खड़े होने या जागने में प्रवृत्त करना। जैसे—बच्चों को सबेरे उठा दिया करो। उदाहरण—कपि उठाइ प्रभु हृदय लगावा।—तुलसी। ४. गिरी या पड़ी हुई वस्तु को ऊपर, यथा-स्थान या सीधा करना। जैसे—जमीन पर से गिरी हुई कलम या पुस्तक उठाना। ५. निर्माण या रचना के क्रम में आगे या ऊपर की ओर बढ़ाना। जैसे—दीवार या मकान उठाना। ६. कहीं बैठ या रह कर कोई काम करनेवाला व्यक्ति को वहाँ से अलग या दूर करना। जैसे—(क) पटरी पर बैठने वाले दूकानदारों को वहाँ से उठाना। (ख) किसी दूकान या पाठशाला से अपना लड़का उठाना। ७. किसी आधिकारिक, उचित या नियत स्थान से कोई चीज लेने के लिए हाथ में करना। जैसे—आलमारी में से पुस्तक उठाना। मुहावरा—उठा ले जाना=(क) इस प्रकार किसी की कोई चीज लेकर चलते बनना किसी को पता न चले। जैसे—न जाने कौन यहाँ की घड़ी उठा ले गया। (ख) बलपूर्वक कोई वस्तु या व्यक्ति ले जाना। हरण करना। जैसे—रावण वन में से सीता को उठा ले गया। ८. कहीं पहुँचाने, ले जाने आदि के उद्देश्य से कोई चीज कंधे,पीठ,सिर आदि पर रखना या हाथ में लेना। जैसे—(क) बच्चे को गोद में उठाना। (ख) सिर पर गट्ठर या बोझ उठाना। ९. किसी प्रकार का उत्तरदायित्व या भार अपने ऊपर लेना। भार के रूप में ग्रहण, वहन या सहन करना। जैसे—आपकी सहायता के भरोसे ही मैंने यह काम उठाया हैं। १. कोई कार्य तत्परता या दृढ़ता से करने के लिए उसका कारण या साधन अपने हाथ में लेना। जैसे—(क) लड़ने के लिए हथियार उठाना।(ख) लिखने के लिए कलम उठाना। ११. गिरी हुई अवस्था या बुरी दशा से उन्नत अवस्था या अच्छी दशा में लाना। जैसे—भारतीय आर्यों ने किसी समय आस-पास की अनेक जातियों को उठाया था। १२. उपयोग, व्यवहार आदि के लिए किसी को देना या सौंपना। जैसे—मकान किराये पर उठाना। १३. शपथ खाने के लिए किसी वस्तु को छूना अथवा उसे हाथ में लेना। कुरान या गंगाजल उठाना। १४. ध्वनि, शब्द आदि ऊँचे स्वर में उच्चरित करना। जैसे—किसी बात के विरूद्ध आवाज उठाना। १५. कोई नई चर्चा, बात, प्रसंग आदि आरंभ करना या चलाना। जैसे—नया प्रसंग उठाना। १६. उपलब्ध या प्राप्त करना। जैसे—लाभ उठाना,सुख उठाना। १७. दंड या भोग के रूप में सहन करना। झेलना। भोगना। जैसे—कष्ट या विपत्ति उठाना। १८. तर या भीगी हुई चीज के संबंध में ऐसी क्रिया करना अथवा उसे ऐसी स्थिति में रखना कि उसमें रासायनिक परिवर्तन के कारण विशिष्ट प्रकार की सड़न आवे। जैसे—आटे या पास में खमीर उठाना। १९. असावधानी, उदारता आदि से खर्च या व्यय करके समाप्त करना। जैसे—(क) जरा सी बात में दस रूपये उठा दिये। (ख) चार दिन में सारा चावल उठा दिया। २॰ अनुकूल, आवश्यक या उचित आचरण, कार्य अथवा व्यवहार न करना। अग्राह्य या अमान्य करना। जैसे—(क) बड़ों की बात इस तरह नहीं उठाना चाहिए। (ख) हमारी हर बात तो तुम यों ही उठा दिया करते हो। मुहावरा—कुछ उठा न रखना=अपनी ओर से कोई उपाय या प्रयत्न बाकी न छोड़ना। यथा सम्भव पूरा उद्योग करना। जैसे—उन्होंने हमें दबाने में कुछ उठा नहीं रखा था। २१. चलते हुए कार्य, व्यवहार, व्यापार आदि का अंत या समाप्ति करना। बंद करना। जैसे—(क) बाजार से अपनी दूकान उठाना। (ख) समाज से कोई प्रथा या रीति उठाना। (ग) अदालत से अपना मुकदमा उठाना। २२. किसी दैवी शक्ति का किसी व्यक्ति के जीवन का अंत करके उसे इस लोक से ले जाना। जैसे—(क) भगवन् हमें जल्दी से उठाओ। (ख) इस दुर्घटना से पहले ही परमात्मा ने उन्हें उठा लिया। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| उठान					 : | स्त्री० [सं० उत्थान, पा० उट्ठान] १. उठने की क्रिय, ढंग या भाव। २. किसी काम या बात के आरंभ या शुरू होने की अवस्था या भाव। जैसे—इस कविता (या गीत) की उठान तो बहुत सुंदर है। ३. शारीरिक दृष्टि से वह अवस्था या स्थिति जो विकास या वृद्धि की ओर उन्मुख हो। जैसे—इस पेड़ (या लड़के) की उठान अच्छी है। ४. खपत। खर्च। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| उठाना					 : | स० [हिं० उठना का स० रूप] १. किसी को उठने में प्रवृत्त करना। ऐसा काम करना जिससे कुछ या कोई उठे। २. नीचे के तल या स्तर से ऊपर के तल या स्तर की ओर ले जाना। ऊँचाई की ओर बढ़ाना या ले जाना। ऊपर करना। जैसे—(क) मत देने के लिए हाथ उठाना, (ख) कुछ देखने के लिए आँखें (या सिर) उठाना। ३. पड़े, बैठे, लेटे या सोये हुए व्यक्ति को खड़े होने या जागने में प्रवृत्त करना। जैसे—बच्चों को सबेरे उठा दिया करो। उदाहरण—कपि उठाइ प्रभु हृदय लगावा।—तुलसी। ४. गिरी या पड़ी हुई वस्तु को ऊपर, यथा-स्थान या सीधा करना। जैसे—जमीन पर से गिरी हुई कलम या पुस्तक उठाना। ५. निर्माण या रचना के क्रम में आगे या ऊपर की ओर बढ़ाना। जैसे—दीवार या मकान उठाना। ६. कहीं बैठ या रह कर कोई काम करनेवाला व्यक्ति को वहाँ से अलग या दूर करना। जैसे—(क) पटरी पर बैठने वाले दूकानदारों को वहाँ से उठाना। (ख) किसी दूकान या पाठशाला से अपना लड़का उठाना। ७. किसी आधिकारिक, उचित या नियत स्थान से कोई चीज लेने के लिए हाथ में करना। जैसे—आलमारी में से पुस्तक उठाना। मुहावरा—उठा ले जाना=(क) इस प्रकार किसी की कोई चीज लेकर चलते बनना किसी को पता न चले। जैसे—न जाने कौन यहाँ की घड़ी उठा ले गया। (ख) बलपूर्वक कोई वस्तु या व्यक्ति ले जाना। हरण करना। जैसे—रावण वन में से सीता को उठा ले गया। ८. कहीं पहुँचाने, ले जाने आदि के उद्देश्य से कोई चीज कंधे,पीठ,सिर आदि पर रखना या हाथ में लेना। जैसे—(क) बच्चे को गोद में उठाना। (ख) सिर पर गट्ठर या बोझ उठाना। ९. किसी प्रकार का उत्तरदायित्व या भार अपने ऊपर लेना। भार के रूप में ग्रहण, वहन या सहन करना। जैसे—आपकी सहायता के भरोसे ही मैंने यह काम उठाया हैं। १. कोई कार्य तत्परता या दृढ़ता से करने के लिए उसका कारण या साधन अपने हाथ में लेना। जैसे—(क) लड़ने के लिए हथियार उठाना।(ख) लिखने के लिए कलम उठाना। ११. गिरी हुई अवस्था या बुरी दशा से उन्नत अवस्था या अच्छी दशा में लाना। जैसे—भारतीय आर्यों ने किसी समय आस-पास की अनेक जातियों को उठाया था। १२. उपयोग, व्यवहार आदि के लिए किसी को देना या सौंपना। जैसे—मकान किराये पर उठाना। १३. शपथ खाने के लिए किसी वस्तु को छूना अथवा उसे हाथ में लेना। कुरान या गंगाजल उठाना। १४. ध्वनि, शब्द आदि ऊँचे स्वर में उच्चरित करना। जैसे—किसी बात के विरूद्ध आवाज उठाना। १५. कोई नई चर्चा, बात, प्रसंग आदि आरंभ करना या चलाना। जैसे—नया प्रसंग उठाना। १६. उपलब्ध या प्राप्त करना। जैसे—लाभ उठाना,सुख उठाना। १७. दंड या भोग के रूप में सहन करना। झेलना। भोगना। जैसे—कष्ट या विपत्ति उठाना। १८. तर या भीगी हुई चीज के संबंध में ऐसी क्रिया करना अथवा उसे ऐसी स्थिति में रखना कि उसमें रासायनिक परिवर्तन के कारण विशिष्ट प्रकार की सड़न आवे। जैसे—आटे या पास में खमीर उठाना। १९. असावधानी, उदारता आदि से खर्च या व्यय करके समाप्त करना। जैसे—(क) जरा सी बात में दस रूपये उठा दिये। (ख) चार दिन में सारा चावल उठा दिया। २॰ अनुकूल, आवश्यक या उचित आचरण, कार्य अथवा व्यवहार न करना। अग्राह्य या अमान्य करना। जैसे—(क) बड़ों की बात इस तरह नहीं उठाना चाहिए। (ख) हमारी हर बात तो तुम यों ही उठा दिया करते हो। मुहावरा—कुछ उठा न रखना=अपनी ओर से कोई उपाय या प्रयत्न बाकी न छोड़ना। यथा सम्भव पूरा उद्योग करना। जैसे—उन्होंने हमें दबाने में कुछ उठा नहीं रखा था। २१. चलते हुए कार्य, व्यवहार, व्यापार आदि का अंत या समाप्ति करना। बंद करना। जैसे—(क) बाजार से अपनी दूकान उठाना। (ख) समाज से कोई प्रथा या रीति उठाना। (ग) अदालत से अपना मुकदमा उठाना। २२. किसी दैवी शक्ति का किसी व्यक्ति के जीवन का अंत करके उसे इस लोक से ले जाना। जैसे—(क) भगवन् हमें जल्दी से उठाओ। (ख) इस दुर्घटना से पहले ही परमात्मा ने उन्हें उठा लिया। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
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