| शब्द का अर्थ | 
					
				| उत्खात					 : | भू० कृ० [सं० उद्√खन्+क्त] १. खोदा हुआ। २. खोदकर बाहर निकाला हुआ। ३. जड़ों से उखाड़ा हुआ। (पेड़, पौधा आदि)। ४. नष्ट-भ्रष्ट किया हुआ। ५. अपने स्थान से दूर किया या हटाया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्खाता (तृ)					 : | वि० [सं०√उद्√खन्+तृच्] ११. उखाड़नेवाला। २. कोदनेवाला। ३. समूल नष्ट करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्खाती (तिन्)					 : | वि० [सं० उद्√खन्+णिनि] १. जो समतल न हो। ऊबड़-खाबड़। २. =उत्खाता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्खात					 : | भू० कृ० [सं० उद्√खन्+क्त] १. खोदा हुआ। २. खोदकर बाहर निकाला हुआ। ३. जड़ों से उखाड़ा हुआ। (पेड़, पौधा आदि)। ४. नष्ट-भ्रष्ट किया हुआ। ५. अपने स्थान से दूर किया या हटाया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्खाता (तृ)					 : | वि० [सं०√उद्√खन्+तृच्] ११. उखाड़नेवाला। २. कोदनेवाला। ३. समूल नष्ट करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्खाती (तिन्)					 : | वि० [सं० उद्√खन्+णिनि] १. जो समतल न हो। ऊबड़-खाबड़। २. =उत्खाता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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