| शब्द का अर्थ | 
					
				| उत्तमांग					 : | पुं० [सं० उत्तम-अंग, कर्म० स०] शरीर का उत्तम या सर्वश्रेष्ठ अंग, मस्तक। सिर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमांभस					 : | पुं० [सं० उत्तम-अंभस्, कर्म० स०] सांख्य में, हिसा के त्याग से प्राप्त होनेवाली तुष्टि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमा					 : | स्त्री० [सं० उत्तम+टाप्] १. श्रेष्ठ स्त्री। २. शूक रोग का एक बेद। ३. दुद्धी या दूधी नाम की जड़ी। वि० भली। नेक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमादूती					 : | स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, वह दूती जो रूठे हुए नायक या नायिका को समझा-बुझाकर या दूसरे उत्तम उपायों से उसके प्रिय के पास ले आती हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमानायिका					 : | स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, शुद्ध आचरणवाली वह स्वकीया नायिक जो पति के प्रतिकूल या विरुद्ध होने पर भी उसके अनुकूल बनी रहें। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमार्द्ध					 : | पुं० [सं० उत्तम-अर्द्ध, कर्म० स०] १. किसी वस्तु का वह आधा अंश या भाग जो शेष अंश की तुलना में श्रेष्ठ हो। २. अंतिम आधा अँश या भाग। उत्तरार्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमाह					 : | पुं० [सं० उत्तम-अहन्, कर्म० स०] १. अच्छा या शुभ दिन। २. अंतिम या आखिरी दिन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमांग					 : | पुं० [सं० उत्तम-अंग, कर्म० स०] शरीर का उत्तम या सर्वश्रेष्ठ अंग, मस्तक। सिर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्तमांभस					 : | पुं० [सं० उत्तम-अंभस्, कर्म० स०] सांख्य में, हिसा के त्याग से प्राप्त होनेवाली तुष्टि। | 
			
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				| उत्तमा					 : | स्त्री० [सं० उत्तम+टाप्] १. श्रेष्ठ स्त्री। २. शूक रोग का एक बेद। ३. दुद्धी या दूधी नाम की जड़ी। वि० भली। नेक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उत्तमादूती					 : | स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, वह दूती जो रूठे हुए नायक या नायिका को समझा-बुझाकर या दूसरे उत्तम उपायों से उसके प्रिय के पास ले आती हो। | 
			
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				| उत्तमानायिका					 : | स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, शुद्ध आचरणवाली वह स्वकीया नायिक जो पति के प्रतिकूल या विरुद्ध होने पर भी उसके अनुकूल बनी रहें। | 
			
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				| उत्तमार्द्ध					 : | पुं० [सं० उत्तम-अर्द्ध, कर्म० स०] १. किसी वस्तु का वह आधा अंश या भाग जो शेष अंश की तुलना में श्रेष्ठ हो। २. अंतिम आधा अँश या भाग। उत्तरार्ध। | 
			
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				| उत्तमाह					 : | पुं० [सं० उत्तम-अहन्, कर्म० स०] १. अच्छा या शुभ दिन। २. अंतिम या आखिरी दिन। | 
			
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