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			| शब्द का अर्थ |  
				| उत्सर्पिणी					 : | पुं० [सं० उद्√सृप्+णिनि-ङीष्] जैनों के अनुसार काल की वह गति जिसमें रूप, रस, गंध, स्पर्श की क्रमिक तथा निरंतर वृद्धि होती है। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| उत्सर्पिणी					 : | पुं० [सं० उद्√सृप्+णिनि-ङीष्] जैनों के अनुसार काल की वह गति जिसमें रूप, रस, गंध, स्पर्श की क्रमिक तथा निरंतर वृद्धि होती है। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |