| शब्द का अर्थ | 
					
				| उत्सेध					 : | पुं० [सं० उद्√सिध् (गति)+घञ्] १. ऊँचाई। २. बढ़ती। वृद्धि। ३. घनता या मोटाई। ४. शरीर का शोथ। सूजन। ५. देह। शरीर। ६. वध। हत्या। ७. आज-कल किसी वस्तु की कोई ऐसी आपेक्षिक ऊँचाई जो किसी विशिष्ट कोण, तल आदि के विचार से हो। (एलिवेशन) जैसे—(क) क्षैतिज कोण के विचार से तोप का उत्सेध। (ख) कुरसी या भू-तल के विचार से भवन का उत्सेध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्सेध-जीवी (बिन्)					 : | पुं० [सं० उत्सेध (वध)√जीव् (जीना)+णिनि] वह जो हत्या और लूट-पाट करके अपना निर्वाह करता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उत्सेध					 : | पुं० [सं० उद्√सिध् (गति)+घञ्] १. ऊँचाई। २. बढ़ती। वृद्धि। ३. घनता या मोटाई। ४. शरीर का शोथ। सूजन। ५. देह। शरीर। ६. वध। हत्या। ७. आज-कल किसी वस्तु की कोई ऐसी आपेक्षिक ऊँचाई जो किसी विशिष्ट कोण, तल आदि के विचार से हो। (एलिवेशन) जैसे—(क) क्षैतिज कोण के विचार से तोप का उत्सेध। (ख) कुरसी या भू-तल के विचार से भवन का उत्सेध। | 
			
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				| उत्सेध-जीवी (बिन्)					 : | पुं० [सं० उत्सेध (वध)√जीव् (जीना)+णिनि] वह जो हत्या और लूट-पाट करके अपना निर्वाह करता हो। | 
			
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