| शब्द का अर्थ | 
					
				| उदान					 : | पुं० [सं० उद्-आ√अन् (जीना)+घञ्] १. ऊपर की ओर साँस खींचना। २. शरीर की पाँच प्राणभूत वायुओं में से एक वायु जिसका स्थान कंठ से भूमध्य तक माना जाता है। छींक-डकार आदि इसी से उद्भूत माने जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उदान					 : | पुं० [सं० उद्-आ√अन् (जीना)+घञ्] १. ऊपर की ओर साँस खींचना। २. शरीर की पाँच प्राणभूत वायुओं में से एक वायु जिसका स्थान कंठ से भूमध्य तक माना जाता है। छींक-डकार आदि इसी से उद्भूत माने जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |