| शब्द का अर्थ | 
					
				| उदार					 : | वि० [सं० उद्+आ√रा (देना)+क] १. जो लोगों को हर चीज खुले दिल से और यथेष्ठ देता हो। दानी। २. जो स्वभाव से नम्र और सुशील हो और पक्षपात या संकीर्णता का विचार छोड़कर सबके साथ खुले दिल से आत्मीयता का व्यवहार करता हो। ३. (कार्य, क्षेत्र या विषय) जिसमें औरों के लिए भी अवकाश या गुंजाइश रहती हो या निकल सकती हो। (लिबरल) पुं० योग में अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश इन चारों क्लेशों का एक भेद या अवस्था जिसमें कोई क्लेश अपने पूर्ण रूप में वर्त्तमान रहता हुआ अपने विषय का ग्रहण करता है। पुं० [देश०] गुलू नामक वृक्ष। (अवध)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उदार-चरित					 : | वि० [ब० स०] सबके साथ खुले हृदय से आत्मीयता और सज्जनता का व्यवहार करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उदार-चेता (तस्)					 : | वि० [ब० स०] जिसके चित या विचारों में उदारता हो। | 
			
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				| उदारता					 : | स्त्री० [सं० उदार+तल्+टाप्] उदार होने की अवस्था, गुण या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उदारता-वाद					 : | पुं० [ष० त०] [वि० उदारतावादी] आधुनिक आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में वह वाद या सिद्धांत जो यह मानता है कि सब लोगों को समान रूप से सुभीते और स्वतंत्र रहने के अधिकार मिलने चाहिए (लिबरलिज्म) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उदारतावादी (दिन्)					 : | वि० [सं० उदारता√वद् (बोलना)+णिनि] उदारता-संबंधी। पुं० वह जो उदारता का अनुयायी और समर्थक हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उदार-दर्शन					 : | वि० [ब० स०] देखने में भला और सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उदारना					 : | स० [सं० उद्दारण] छिन्न-भिन्न करना या तोड़ना-फोड़ना। स० [सं० विदीरण] नोचना या फाड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उदाराशय					 : | वि० [उदार-आशय, ब० स०] अच्छे और उदार विचारोंवाला। | 
			
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				| उदार					 : | वि० [सं० उद्+आ√रा (देना)+क] १. जो लोगों को हर चीज खुले दिल से और यथेष्ठ देता हो। दानी। २. जो स्वभाव से नम्र और सुशील हो और पक्षपात या संकीर्णता का विचार छोड़कर सबके साथ खुले दिल से आत्मीयता का व्यवहार करता हो। ३. (कार्य, क्षेत्र या विषय) जिसमें औरों के लिए भी अवकाश या गुंजाइश रहती हो या निकल सकती हो। (लिबरल) पुं० योग में अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश इन चारों क्लेशों का एक भेद या अवस्था जिसमें कोई क्लेश अपने पूर्ण रूप में वर्त्तमान रहता हुआ अपने विषय का ग्रहण करता है। पुं० [देश०] गुलू नामक वृक्ष। (अवध)। | 
			
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				| उदार-चरित					 : | वि० [ब० स०] सबके साथ खुले हृदय से आत्मीयता और सज्जनता का व्यवहार करनेवाला। | 
			
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				| उदार-चेता (तस्)					 : | वि० [ब० स०] जिसके चित या विचारों में उदारता हो। | 
			
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				| उदारता					 : | स्त्री० [सं० उदार+तल्+टाप्] उदार होने की अवस्था, गुण या भाव। | 
			
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				| उदारतावादी (दिन्)					 : | वि० [सं० उदारता√वद् (बोलना)+णिनि] उदारता-संबंधी। पुं० वह जो उदारता का अनुयायी और समर्थक हो। | 
			
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				| उदारना					 : | स० [सं० उद्दारण] छिन्न-भिन्न करना या तोड़ना-फोड़ना। स० [सं० विदीरण] नोचना या फाड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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