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			| शब्द का अर्थ |  
				| उद्गीति					 : | स्त्री० [सं० उद्√गै (गाना)+क्तिन्] १. आर्या छंद का भेद जिसके पहले और तीसरे चरण में बारह-बारह, दूसरे में पंद्रह और चौथे में अट्टारह मात्राएँ होती है। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| उद्गीति					 : | स्त्री० [सं० उद्√गै (गाना)+क्तिन्] १. आर्या छंद का भेद जिसके पहले और तीसरे चरण में बारह-बारह, दूसरे में पंद्रह और चौथे में अट्टारह मात्राएँ होती है। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |