| शब्द का अर्थ | 
					
				| उद्धारण					 : | पुं० [सं० उद्√धृ+णिच्+ल्युट-अन] १. ऊपर उठाना। उत्थापन। २. उबारना। बचाना। ३. बँटवारा। ४. कोई पद, वाक्य या शब्द कहीं से जान-बूझकर या किसी उद्देश्य से निकाल या अलग कर देना। (डिलीशन) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उद्धारणिक					 : | पुं० [सं० उद्धारण+ठक्-इक] वह व्यक्ति जिसने किसी से रूपया उधार लिया हो। ऋण या कर्ज लेनेवाला। (बॉरोवर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उद्धारण					 : | पुं० [सं० उद्√धृ+णिच्+ल्युट-अन] १. ऊपर उठाना। उत्थापन। २. उबारना। बचाना। ३. बँटवारा। ४. कोई पद, वाक्य या शब्द कहीं से जान-बूझकर या किसी उद्देश्य से निकाल या अलग कर देना। (डिलीशन) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उद्धारणिक					 : | पुं० [सं० उद्धारण+ठक्-इक] वह व्यक्ति जिसने किसी से रूपया उधार लिया हो। ऋण या कर्ज लेनेवाला। (बॉरोवर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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