| शब्द का अर्थ | 
					
				| उन्नयन					 : | पुं० [सं० उद्√नी(लेजाना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० उन्नति कर्त्ता, उन्नायक] १. ऊपर की ओर उठाना या ले जाना। २. ऐसा काम करना जिससे कोई आगे बढ़े या उन्नति करे। किसी की उन्नित का कारण बनना। ३. किसी को ऊँची कक्षा या वर्ग में अथवा ऊँचे पद पर पहुँचाना या भेजना। (प्रोमोशन) ४. ऊपर की ओर उठते हुए रूप में बनाना या रचना। जैसे—सीमन्तोन्नयन। ५. निष्कर्ष। सारांश। वि० [सं० उद्+नयन] जिसकी आँखें ऊपर की ओर उठी हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्नयन-यंत्र					 : | पुं० [ष० त०] दे० ‘उत्थानक’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्नयन					 : | पुं० [सं० उद्√नी(लेजाना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० उन्नति कर्त्ता, उन्नायक] १. ऊपर की ओर उठाना या ले जाना। २. ऐसा काम करना जिससे कोई आगे बढ़े या उन्नति करे। किसी की उन्नित का कारण बनना। ३. किसी को ऊँची कक्षा या वर्ग में अथवा ऊँचे पद पर पहुँचाना या भेजना। (प्रोमोशन) ४. ऊपर की ओर उठते हुए रूप में बनाना या रचना। जैसे—सीमन्तोन्नयन। ५. निष्कर्ष। सारांश। वि० [सं० उद्+नयन] जिसकी आँखें ऊपर की ओर उठी हों। | 
			
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				| उन्नयन-यंत्र					 : | पुं० [ष० त०] दे० ‘उत्थानक’। | 
			
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