| शब्द का अर्थ | 
					
				| उन्माद					 : | पुं० [सं० उद्√मद् (गर्व करना)+घञ्] एक प्रकार का मानसिक रोग जिसमें मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है और रोगी बिना-सोचे समझे अंड-बंड काम और बातें करने लगता है। चित्त-विभ्रम। पागलपन। साहित्य में यह एक संचारी भाव माना गया है जिसमें वियोग के कारण चित्त ठिकाने नहीं रहता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्मादक					 : | वि० [सं० उद्√मद्+णिच्+ल्युट अन] [स्त्री० उन्मादिनी] १. (बात, विषय या व्यक्ति) जो किसी को उन्मद करे। पागल करनेवाला० २. (खाने-पीने की चीज) जिससे नशा होता हो। पुं० धतूरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्मादन					 : | पुं० [सं० उद्√मद्+णिच्+ल्युट अन] १. उन्मत्त करने की क्रिया या भाव। उन्माद उत्पन्न करना। २. कामदेव के पाँच वाणों में से एक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्मादी (दिन्)					 : | वि० [सं० उन्माद+इनि] [स्त्री० उन्मादिनी] १. जो उन्माद रोग से ग्रस्त हो। २. उन्माद संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| उन्माद					 : | पुं० [सं० उद्√मद् (गर्व करना)+घञ्] एक प्रकार का मानसिक रोग जिसमें मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है और रोगी बिना-सोचे समझे अंड-बंड काम और बातें करने लगता है। चित्त-विभ्रम। पागलपन। साहित्य में यह एक संचारी भाव माना गया है जिसमें वियोग के कारण चित्त ठिकाने नहीं रहता। | 
			
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				| उन्मादक					 : | वि० [सं० उद्√मद्+णिच्+ल्युट अन] [स्त्री० उन्मादिनी] १. (बात, विषय या व्यक्ति) जो किसी को उन्मद करे। पागल करनेवाला० २. (खाने-पीने की चीज) जिससे नशा होता हो। पुं० धतूरा। | 
			
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				| उन्मादी (दिन्)					 : | वि० [सं० उन्माद+इनि] [स्त्री० उन्मादिनी] १. जो उन्माद रोग से ग्रस्त हो। २. उन्माद संबंधी। | 
			
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