| शब्द का अर्थ | 
					
				| उन्ह					 : | सर्व० हिं० उस का वह अवधी बहुवचन रूप जो उसे विभक्ति लगने पर प्राप्त होता है। उदाहरण—साँचेहु उन्ह कै मोह न माया।—तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्हानि					 : | स्त्री०=उन्हारि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्हारि					 : | स्त्री० [सं० अनसार, हिं० अनुहार] १. बराबरी। समता। २. आकृति, रूप-रंग आदि में किसी के साथ होनेवाली समानता। ३. किसी के ठीक समान बनी हुई कोई दूसरी चीज़ या रूप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्हारी					 : | स्त्री० [हिं० उन्हाला] रबी की फसल। (बुंन्देल०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्हाला					 : | पुं० [सं० उष्ण-काल] ग्रीष्म ऋतु। गरमी के दिन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्ह					 : | सर्व० हिं० उस का वह अवधी बहुवचन रूप जो उसे विभक्ति लगने पर प्राप्त होता है। उदाहरण—साँचेहु उन्ह कै मोह न माया।—तुलसी। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्हानि					 : | स्त्री०=उन्हारि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उन्हारि					 : | स्त्री० [सं० अनसार, हिं० अनुहार] १. बराबरी। समता। २. आकृति, रूप-रंग आदि में किसी के साथ होनेवाली समानता। ३. किसी के ठीक समान बनी हुई कोई दूसरी चीज़ या रूप। | 
			
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				| उन्हारी					 : | स्त्री० [हिं० उन्हाला] रबी की फसल। (बुंन्देल०)। | 
			
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				| उन्हाला					 : | पुं० [सं० उष्ण-काल] ग्रीष्म ऋतु। गरमी के दिन। | 
			
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