| शब्द का अर्थ | 
					
				| उपच्छाया					 : | स्त्री० [सं० अत्या० स०] किसी वस्तु की मूल छाया के अतिरिक्त इधर-उधर पड़नेवाली उसकी कुछ आभा या हलकी काली झलक,जैसी ग्रहण के समय चंद्रमा या पृथ्वी की मुख्य छाया के अतिरिक्त दिखाई देती है। (पेनम्ब्रा) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपच्छाया					 : | स्त्री० [सं० अत्या० स०] किसी वस्तु की मूल छाया के अतिरिक्त इधर-उधर पड़नेवाली उसकी कुछ आभा या हलकी काली झलक,जैसी ग्रहण के समय चंद्रमा या पृथ्वी की मुख्य छाया के अतिरिक्त दिखाई देती है। (पेनम्ब्रा) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |